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(अपडेट) कोरोना का एक्टिव वेरिएंट खोजने में भी महाराष्ट्र सबसे आगे

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Posted On:Friday, May 14, 2021

मुंबई, 14 मई  (अपडेट...)। कोरोना वायरस के एक्टिव वेरिएंट्स का पता लगाकर इस महामारी को रोकने में जीनोम सीक्वेंसिंग अहम भूमिका निभा सकता है, लेकिन कोरोना संक्रमित मरीजों के नमूने लैब भेजकर जीनोम सीक्वेंसिंग कराने में देश के कई राज्यों ने कम रुचि दिखाई है। देश में महाराष्ट्र सबसे ज्यादा जीनोम सीक्वेंसिंग करानेवाला राज्य है।
 
कोरोना की जांच, टीकाकरण और इलाज में महाराष्ट्र; देश में लगातार पहले पायदान पर बना हुआ है। इसी कड़ी में महाराष्ट्र ने अब कोरोना के एक्टिव वेरिएंट्स का पता लगाने में भी अन्य राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। कोरोना संक्रमित मरीजों का सैंपल भेजकर जीनोम सीक्वेंसिंग कराने में महाराष्ट्र नंबर वन राज्य साबित हुआ है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमित मरीजों के 965 सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए। इसमें से 870 लोगों में लोगों में इंडियन वेरिएंट्स B.1.617 की पुष्टि हुई। यह आंकड़ा अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। दुनियाभर में कोरोना वायरस के वेरिएंट्स का अलग-अलग नाम दिया गया है। महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के इंडियन वैरिएंट्स को B.1.617 नाम दिया गया है। यूके वैरिएंट्स का नाम B.1.1.7 है। ब्राजील में P.1 और दक्षिण अफ्रीका में B.1.351 वैरिएंट्स सक्रिय हैं। 
 
उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, बिहार जैसे कई राज्य फिसड्डी साबित हो रहे हैं। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में केवल 18 नमूने जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए। बिहार में 14, गोवा में 7, हरियाणा में 21, उत्तराखंड में 130 और तमिलनाडु में 17 सैंपल भेजे गए। कुछ राज्य ऐसे हैं जिन्होंने जांच के लिए सैंपल ही नहीं भेजे हैं। कई राज्यों के आंकड़े बेहद कम हैं। इस महीने की पांच तारीख तक मिली जानकारी के अनुसार जीनोम सीक्वेंसिंग जांच के लिए नमूने भेजनेवालों में दिल्ली दूसरे स्थान पर है। दिल्ली में 612 सैंपल जांच के लिए भेजे गए। पंजाब 519 सैंपल के साथ तीसरे और तेलंगाना 347 नमूनों के साथ चौथे स्थान पर है। कर्नाटक में 234, आंध्र प्रदेश में 209 और पंजाब में 159 सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए प्रयोगशालाओं में भेजे गए। अब तक पूरे देश में 3900 नमूने जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए हैं। केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस की रोकथाम और नए वेरिएंट का पता लगाने के लिए देश की 10 प्रयोगशालाओं का एक पैनल बनाया है। इन प्रयोगशालाओं के माध्यम से कोरोना वायरस की जांच की जाती है। इन प्रमुख प्रयोगशालाओं में इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (नई दिल्ली), सीएसआईआर-आर्कियोलॉजी फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (हैदराबाद), डीबीटी इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (भुवनेश्वर), डीबीटी-इन स्टेम-एनसीबीएस (बेंगलुरु), डीबीटी - नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (कल्याणी, पश्चिम बंगाल), आईसीएमआर- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (पुणे) का समावेश है।
 
पब्लिक हेल्थ मामलों के एक्सपर्ट और आर्मी की हेल्थ सर्विसेज के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर कर्नल डॉ. सतीश ढगे बताते हैं कि पूरी दुनिया कोरोना की चपेट में है। जीनोम सीक्वेंसिंग से पता लगाया जा सकेगा कि किस वेरिएंट का ज्यादा फैलाव हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के अनुसार कोरोना संक्रमित 5 फीसदी मरीजों के नमूने जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए लैब में भेजे जाने चाहिए, लेकिन भारत में इसका आंकड़ा एक से डेढ़ प्रतिशत ही है। उत्तर प्रदेश इतना बड़ा राज्य है फिर भी वहां सेंपल भेजने का आंकड़ा बेहद कम है। राष्ट्रीय स्तर पर सभी राज्यों को नियमित जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए नमूने भेजकर सहयोग करना चाहिए। इससे राष्ट्रीय स्तर पर डाटा तैयार होगा, जिससे कोरोना को रोकने में बड़ी मदद मिलेगी। राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार को पहल करनी चाहिए। वे महाराष्ट्र की कोशिशों की दाद देते हैं। 
 
क्या है जिनोम सीक्वेंसिंग
वायरस के बारे में जानने की विधि को जीनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं। इससे ही कोरोना वायरस के नए वेरिएंट्स के बारे में पता लगाया जाता है।जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए पता लगाया जाता है कि कोरोना वायरस का कौन सा वेरिएंट है और उसमें कौन से बदलाव हो रहे हैं। देश में कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए यह अहम भूमिका निभा सकता है। देश में अलग-अलग वैक्सीन आई है। वायरस के गुणधर्म का पता लगाकर वैक्सीन और इलाज में संशोधन एवं बदलाव लाने में इसकी मदद मिलेगी। 


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