अलीगढ़, 26 मई| 77 साल के मशहूर पर्यावरणविद सुबोध नंदन शर्मा 15 महीने जिला कारागार में रहने के बाद आज यानी बुधवार को जेल से पैरोल पर रिहा कर दिया गया। उन्हें 32 साल पुराने एक वित्तीय मामले में पिछले साल फरवरी 2020 में जेल जाना पड़ा था। जेल से बाहर आते ही सुबोध नंदन शर्मा ने चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा को श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्होंने जेल प्रशासन का भी बहुत आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही उन्होंने पुलिस महानिदेशक से रिहाई के संबंध में पैरोकारी करने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के हरियाणा के प्रभारी विवेक बंसल का आभार व्यक्त किया।
बुधवार सुबह रिहाई के वक्त नागरिक चेतना समिति के अध्यक्ष अशोक शर्मा, उड़ान सोसायटी के ज्ञानेंद्र मिश्रा, पर्यावरण सुरक्षा समिति हरीतिमा के भीकम सिंह आदि लोग उनका स्वागत करने के लिए जेल बाहर पहुंचे। 15 महीने जिला कारागार में बिताने के बाद पैरोल पर बाहर आए सुबोध नंदन शर्मा ने बताया कि जेल में ही उनको कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए वैक्सीन के दोनों टिके लग चुके हैं। उन्होंने बताया कि जेल प्रशासन ने उनको किसी बंधी की तरह नहीं बल्कि उनकी उम्र और अनुभव का लिहाज करते हुए बहुत ही शिष्ट और सभ्य तरीके से रखा गया ।
बता दें हरदुआगंज तापीय परियोजना (कासिमपुर पावर हाउस) में 32 साल पहले हुए गबन के एक मामले में उस समय हेड कैशियर रहे पर्यावरणविद् सुबोध नंदन शर्मा को अदालत ने 10 साल की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई गई थी। जेल में रहने के दौरान वह अपनी पर्यावरण संरक्षण की गतिविधियां करते रहे वहां वृक्षारोपण से लेकर गौरैया के लिए घोंसला बनाने तक का काम करते रहे। इस दौरान जब जेल प्रशासन ने उनसे टिड्डी दल के हमले के संबंध में चर्चा की तो उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर जेल प्रशासन को बताया कि कारागृह परिसर में जितनी अधिक गौरैया होंगी उतना ही परिसर टिड्डी दल के हमले से बचा रहेगा क्योंकि गौरैया टिड्डी का भक्षण करती हैं।