वाराणसी। पुलिस और न्यायालय अगर अपने पे आ जाए तो जिंदा इंसानों को छोड़िये, कब्र में दफ़न लाशों को भी सच्चाई बतानी पड़ जाती है। अक्सर फिल्मों में सुनी जाने वालों कहानी वाराणसी में हकीकत में हुई घटना के प्रासंगिक है। तकरीबन पांच महीने पहले इलाज के दौरान विवाहिता की मौत हो गई। शव को परिजनों ने कब्रिस्तान में दफन कर दिया था। दफन शव को न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने बाहर निकलवा कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, चौबेपुर थाना क्षेत्र के धौरहरा निवासी असगर अली ने अपनी पुत्री रेशमा की शादी बड़ागांव थाना क्षेत्र के कुड़ीगांव निवासी वकील मंसुरी के पुत्र नादिर के साथ 17 नवंबर 2018 कों की। फरवरी 2021 में विवाहिता की इलाज के दौरान के मौत हो गई थी। परिजनों ने बिना पुलिस को सूचित किये शव को दफन कर दिया था।
मायकेवालों का आरोप था कि उनकी बेटी को सुसराल वालों ने चिकित्सक से मिलकर जहरीली दवा दिलाकर मार दिया। ससुराल वाले हमेसा दहेज की मांग को लेकर मेरी बेटी को प्रताड़ित करते थे।
पिता ने SP देहात को प्रार्थना देकर दहेज हत्या का आरोप लगाते हुए पोस्टमार्टम कराने की मांग की थी। मामले को संज्ञान में लेते हुए SP देहात के आदेश पर बड़ागांव पुलिस ने मृतिका के पति, सास नजमा, जेठ राजू, जेठानी हिना, नंद तन्नू के खिलाफ दहेज हत्या सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा कायम किया।
सीओ जगदीश कालीरमन ने बताया कि सोमवार को न्यायालय के आदेश पर महिला के दफन शव को कब्र से बाहर निकाला गया। लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। मौके पर पिता असगर अली, तहसीलदार पिण्डरा रामनाथ, क्षेत्राधिकारी बड़ागांव, SHO बड़ागांव सतीश कुमार सिंह मौजूद थे।