वाराणसी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी का अचानक असार संसार को अलविदा कह देना धर्म नगरी काशी के संतों को आहत कर रहा है। विद्वतजन शोकाकुल और व्यथित हैैं। असमंजस के हालात दुखी कर रहे तो उनके जैसे जीवट संत की आत्महत्या की बात पर विश्वास नही हो रहा।
आक्रोशित संतो ने आत्महत्या पर उठाए सवाल ,निष्पक्ष जांच की मांग की:
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने शोक जताया, और साथ में यह भी कहा कि कहीं न कहीं गहरे षडयंत्र की आशंका है। साफ शब्दों में कहा कि महंत नरेंद्र गिरी आत्महत्या नहीं कर सकते थे। पूरी सुरक्षा में थे तो सुसाइड नोट भी सशंकित कर रहा है। ऐसे में इसकी जांच कराई जानी चाहिए कि कहीं इसके पीछे किसी को फंसाने की साजिश तो नहीं।
काशी अन्नपूर्णा मठ मंदिर के महंत स्वामी शंकर पुरी ने कहा कि विश्वास ही नहीं हो रहा कि कोई संत कैसे आत्महत्या कर सकता है। स्वेच्छा शरीर त्याग करना दूसरी बात है, लेकिन उनका इस तरह दुनिया से जाना दुखद है। अब जो बातेें उठ रही हैैं, उनकी जांच कराई जानी चाहिए ताकि सच सामने आए।
श्रीकाशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि यह सनातन धर्मावलंबियों के लिए दुखद घटना है। हिंदू संस्कृति व समाज में अखाड़ों का बहुत महत्व है। नरेंद्र गिरी महाराज अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के तौर पर तमाम अखाड़ों का नेतृत्व कर रहे थे। इस तरह की घटना से संत व विद्वत समाज आक्रोशित है। उच्चस्तरीय जांच कराई जाए कि किन परिस्थितियों में मौत हुई। इस मामले को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
राजा चेत सिंह किला स्थित अखाड़े में पसरा सन्नाटा
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी के निधन से राजा चेत सिंह किला के समीप स्थित निरंजनी अखाड़े में सन्नाटा छाया रहा। इसमें कुछ साधु-संत व पुजारी रहते हैैं। यहां कभी कभार महंत नरेंद्र गिरी का आना होता था।