वाराणसी,15 मई। बाहर नौकरी करने की मजबूरी हो या फिर दूसरे कोई भी कारण। एकल परिवारों की संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन इस एकल दौर में आज भी हर शहर में ऐसे परिवार हैं जो अब भी संयुक्त रूप से रहते हैं। एक जगह सबका खाना बनता है, किसी भी फैसले में सबकी रायशुमारी होती हैं। अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस के मौके पर रूबरू करातें हैं शहर के ऐसे ही कुछ परिवारों से...
एक दूसरे की भावनाओं का रहता है ख्याल -
व्यापारी सचिन मिश्रा व महिला उद्यमी प्रिया मिश्रा का पूरा परिवार आज भी एक साथ रहता है। सचिन व प्रिया के परिवार में उनके दादा माता प्रसाद मिश्रा उनकी पत्नी अनार मिश्रा उनके तीन बेटे रवींद्रनाथ उनकी पत्नी पुष्पा देवेंद्र नाथ उनकी पत्नी शैल मिश्रा के साथ उनके बच्चे व पोते पोतियों से भरा पूरा परिवार सभी साथ रहते हैं। पूरे परिवार का खाना एक ही जगह बनता है। सचिन बताते हैं कि परिवार में सभी एक दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखते हैं, एक दूसरे की जरूरतों को समझते हैं। प्रिया ने बताया कि परिवार में अगर बड़े बुजुर्गों का साथ हो तो बच्चों की परवरिश भी अच्छे से होती है, घर में कोई भी परेशानी हो तो पता ही नहीं चलता।
मां ने अकेले पूरे परिवार को जोड़ कर रखा -
कहने को तो खिलौना कारोबारी विनय कुमार गुप्ता की मां प्रकाशिनी गुप्ता की उम्र 85 साल से ज्यादा की हो चुकी है, लेकिन आज भी उन्होंने अपने पूरे परिवार को एक धागे में पिरोकर रखा है। विनय व उनकी पत्नी बीना के साथ विनय के भाई मुन्ना व उनकी पत्नी नमिता, छोटे भाई निर्भय व उनकी पत्नी खुशी के साथ सभी के बच्चे एक साथ रहते है। विनय बताते हैं कि हमारे परिवार में सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सभी भाइयों से लेकर बुजुर्ग मां की राय ली जाती है। हमारे परिवार की रीढ़ हमारी मां है, यही वजह है कि हमारा पूरा परिवार आज भी एक साथ है।
परिवार के लोगों ने मिलकर लड़ी कोरोना से जंग, हासिल की जीत-
नरिया निवासी बीएचयू नर्सिंग कॉलेज की पूर्व प्रधानाचार्य कमला सिंह के परिवार में उनके बेटे पवन सिंह बहू अनुराधा सिंह उनकी बेटी प्रीति व परिवार के तीनों बच्चे मान्या सिंह, अथर्व व मणिकंदन कोरोना संक्रमित हुए तो परिवार के सामने काफी दिक्कतें आ गयी। ऐसे मुश्किल वक्त में जब कमला की हालत नाजुक हुई तो दवाई के लेकर अस्पताल तक परिवार के लोगों ने उनका साथ दिया। कमला सिंह कहती हैं कोई भी लड़ाई अकेले नहीं लड़ी जाती चाहे कोई परेशानी हो या कोरोना जैसी महामारी जब सब एकजुट होकर कदम बढ़ाते हैं तो जीत तय है।
एक दूसरे का ख्याल रखते हुए जीती कोरोना से जंग-
दूरदर्शन वाराणसी केंद्र में कार्यरत लेखाकार संतोष मौर्य संयुक्त परिवार में रहते हैं। कोरोना की दूसरी लहर में 10 में से परिवार के 9 सदस्य कोरोना से संक्रमित हो चुके थे। ऐसे वक्त में परिवार ने एक दूसरे का ख्याल रखते हुए कोरोना को हराया। संतोष बताते हैं मेरे साथ मेरी मां मालती देवी भाई संजय मौर्य, नीलम, रीमा, आंचल व परिवार के सबसे छोटे सदस्य संघरत्ने भी पॉजिटिव थे। लेकिन हमारे परिवार ने संक्रमित होते हुए भी सकारात्मक सोच और कोविड नियमों का पालन करते हुए इलाज के बाद पूरी तरह स्वस्थ हैं।
इसलिए मनाया जाता है दिवस -
1993 में यूएन की जनरल असेंबली में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई थी। इसको मनाने का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदायों को परिवारों के साथ जोड़ना था। इसके बाद से हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है।