वाराणसी। 52000 वर्ग मीटर में बनने वाले काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में सभी भवन एक विशेष नाम से जाने जाएंगे। काशी की संस्कृति, साहित्य, और सौंदर्य जैसे नामों से भवनों का नामकरण किये जाएंगे। इसके लिए मंदिर प्रशासन शहरवासियों के बीच एक प्रतियोगिता आयोजित कराएगी। इसमे जिस नाम पर सबसे ज्यादा सहमति होगी उस नाम को ही चुना जाएगा। करीब 52000 वर्गमीटर में बनने वाले कॉरिडोर क्षेत्र के भवनों के साथ साथ मंदिर परिसर में प्रवेश के लिए बनने वाले निर्माणाधीन प्रवेश द्वार के भी नामकरण किये जायेंगे। वर्तमान में ये प्रवेश द्वार संख्या के आधार पर पहचाने जाते हैं।
इन चार नामों से जाने जाते हैं प्रवेश द्वार ;-
विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह तक जाने के लिए चार प्रवेश द्वार बनाए गए हैं। इनके नाम मुख्य मार्ग के आधार पर रखे गए हैं। चौक-विश्वनाथ मार्ग पर पड़ने वाले गेट को वीआईपी, छत्ताद्वार और ज्ञानवापी गेट के नाम से जाना जाता है। गोदौलिया चौराहे से आने वाले मार्ग के गेट को ढुंढिराज प्रवेश द्वार, दशाश्वेध घाट, ललिता, कालिका गली से मंदिर जाने वाले प्रवेश मार्ग को सरस्वती द्वार और मणिकर्णिका घाट से आने वाले मार्ग के प्रवेश द्वार को नीलकंठ गेट के नाम से जाना जाता हैं।
"गेटवे ऑफ कॉरिडोर" होगा गंगा के छोर पर;-
गेटवे ऑफ कॉरीडोर को गंगा के छोर पर बनाया जा रहा है ताकि काशीविश्वनाथ धाम में घाट के रास्ते लोग आसानी से पहुंच सकें। काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन के पहले गंगा में स्नान या आचमन की मान्यता है, इस बात को ध्यान में रखते हुए, जलासेन घाट पर बनाये जा रहे गेट को खास रूप दिया जाएगा। नक्कासीदार पत्थर और लकड़ियों से गेट का निर्माण किया जाएगा वहीं कॉरिडोर के अन्य तीन द्वार गिट्टी से ढाले जा रहे है। गंगा के छोर पर यह पूर्वी गेट को मुख्य परिसर के चार द्वारों की तरह चुनार के पत्थरों से आकार दिया जाएगा। इसकी ऊंचाई 32 फीट व चौड़ाई 90 फीट होगी।
रिपोर्ट-प्रकाश चन्द्र