वाराणसी। क्लाइमेट एजेंडा द्वारा अस्सी घाट स्थित कृत्रिम फेफड़े के समीप 'मॉम्स फॉर क्लीन एयर' ने सभा आयोजित की गई। 2 दिन पहले क्लाइमेट एजेंडा ने किस स्थान पर कृत्रिम फेफड़ा स्थापित किया था जो मात्र 2 दिनों में ही काला पड़ गया। संस्था ने चेताया कि स्पष्ट है की आबोहवा काशी वासियों के लिए सुरक्षित नहीं है।
क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने बताया कि बढ़ते वायु प्रदूषण का सीधा और सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ता है। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, आउटडोर और इनडोर वायु प्रदूषण के कारण 2019 में जन्म के एक महीने के भीतर भारत में 116,000 से अधिक शिशुओं की मृत्यु हो गई. वहीं इसी अध्ययन संस्थान की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर 3 मिनट पर एक बच्चे की मौत हो जाती है। इनमें सबसे टॉप पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार टॉप 3 प्रदेश हैं, जहाँ सबसे अधिक मृत्यु दर दर्ज की गयी है। इसके अलावा, प्रतिवर्ष अस्थमा, ब्रोंकाइटिस आदि जैसे बीमारियों के कारण लाखों बच्चों का विकास प्रभावित हो रहा है। ऐसी गंभीर स्थिति में शासन प्रशासन का सुस्त रवैया डरावना है।
सभा में मॉम्स फॉर क्लीन एयर की सदस्य सरोज सिंह ने बताया कि बनारस में 2 दिन के अन्दर कृत्रिम फेफड़े का काला हो जाना हमे सचेत करता है वायु प्रदूषण कितनी घटक समस्या है। ऐसे में, यह जरूरी है कि बच्चों की सेहत की रक्षा के लिए माताएं बाहर निकले। सौर ऊर्जा, सार्वजनिक परिवहन, कचरा प्रबंधन की व्यवस्था ठीक की जाए और सबसे ज़रूरी है कि बनारस की बदहाल सड़को की ठोस मरम्मत की जाए।
इस सभा में मुख्य रूप से सुजाता उकील, श्वेता यादव, अंशिका वर्मा, रतिकेश पूर्वोदय, सानिया अनवर आदि समेत वसंत कन्या महाविद्यालय की छात्राएं एवं अन्य महिला एवं पुरुष उपस्थित थे।