वाराणसी। वाराणसी में काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद के बीच वर्षों से चला आ रहा विवाद अभी थमा भी नहीं था कि एक और नया विवाद सामने आ रहा है। पांच हिंदू महिलाओं ने एक पुराने मंदिर परिसर, जो अब एक मस्जिद में तब्दील हो चुका है, उसमें पूजा करने के अपने अधिकारों की बहाली की मांग की है। इससे संबंधित याचिका दायर होने के बाद, जिला अदालत ने इस मामले पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी, काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट, उत्तर प्रदेश सरकार एवं ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी से जवाब मांगा है।
क्या है पूरा मामला:-
बुधवार को दायर याचिका में यह उल्लेख किया गया है कि क्षेत्र में मुगल शासन के दौरान मंदिर परिसर को मस्जिद में बदल दिया गया था। एक हिंदू महिला राखी सिंह के नेतृत्व में याचिका में कहा गया है कि भक्तों को पुराने काशी विश्वनाथ मंदिर के परिसर के अंदर दृश्यमान या अदृश्य देवताओं की पूजा करने का अधिकार है। उनके अधिवक्ता, हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने अदालत में तर्क दिया कि मूल काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर को मुगल सम्राट औरंगजेब ने अपने शासन के दौरान नष्ट कर दिया था। जैन ने आगे कहा कि प्रतिवादियों को आदेश दिया जाना चाहिए कि वे वादी के मौलिक धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप न करें, जिसमें मंदिर में भगवान गणेश भगवान हनुमान, देवी गौरी ओर नंदी की मूर्तियों को सजाना शामिल है। उन्होंने अदालत से एक अस्थायी निषेधाज्ञा पारित करने का अनुरोध किया, जिसमें प्रतिवादियों को मूर्तियों को नुकसान नहीं पहुंचाने का निर्देश दिया गया था। वरिष्ठ सिविल जज जस्टिस रवि कुमार दिवाकर ने आपत्तियों के समाधान के लिए 10 सितंबर की तारीख निर्धारित की है।
1992 तक हर रोज होती थी पूजा:-
गौरतलब है कि हिंदू धर्म-दर्शन में श्रृंगार गौरी को 9 देवियों में से एक माना गया है, जो वाराणसी में विराजमान है। मां श्रृंगार गौरी का मंदिर ज्ञानवापी परिसर के पश्चिमी इलाके में स्थित है। इस मंदिर में मां श्रृंगार गौरी की मूर्ति प्रतिष्ठित है। मंदिर के पुरोहित गुलशन कपूर के मुताबिक 1992 के पहले यहां हर रोज पूजा-अर्चना की जाती थी। हालांक विवाद सामने आने के बाद सिर्फ नवरात्रि के अंतिम दिन मां श्रृंगार गौरी की पूजा-अर्चना की अनुमति दी गई। स्थानीय निवासियों के मुताबिक 1998 में तत्कालीन कमिश्नर ने मां श्रृंगार गौरी में दर्शन-पूजन पूरी तरह से बंद करवाए थे। यह निर्णय 1992 में सामने आए विवाद के बाद लिया गया था।
2006 में नवरात्रि में एक दिन मिली पूजा की अनुमति:-
यह अलग बात है कि श्रद्धालुओं की लंबी लड़ाई के बाद 2006 में एक बार फिर मंदिर में पूजा-पाठ की अनुमति दी गई। विश्व वैदिक सनातन धर्म के प्रमुख जितेंद्र सिंह बताते के हैं कि अब हर रोज मंदिर में पूजा-पाठ की अनुमति देने को लेकर नई याचिका दायर की गई है।
नहीं हुई सुनवाई तो होगा आंदोलन:-
हमसे हुई खास बातचीत में याचिकाकर्ता मंजू व्यास जो कि स्वयं एक समाज सेविका भी हैं उन्होंने बताया कि यदि उनकी याचिका पर उचित कार्यवाही नहीं की जाती है तो वह समस्त याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ अन्य लोगों के साथ देवी देवताओं को उनका निश्चित स्थान दिलाने के लिए आंदोलन करेंगी। याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी व सीता साहू ने कहा कि वर्ष भर में एक बार नवरात्र की चतुर्दशी को होने वाले दर्शन पूजन को वर्ष के हर दिन खोला जाए जिससे मां श्रृंगार गौरी के उपासक प्रतिदिन उनका दर्शन पूजन कर पाए।
याचिकाकर्ता की मांगों को संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 24 अगस्त तय की है तो वही पूरे मामले के निस्तारण के लिए 10 सितंबर तक की तिथि निर्धारित की गई है।