वाराणसी। चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आईएमएस) बीएचयू में बिना लाइसेंस ही आयुर्वेदिक दवाएं बनाई व बेचे जानें का मामला सामने आया है। जिसे लेकर पूर्व विधायक व कांग्रेस नेता अजय राय ने गुरुवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि बीएचयू में लगातार अव्यवस्था समाने आ रही है। हाल यह है कि बीएचयू में बिना लाइसेंस आयुर्वेदिक दवाईयां बनाई व बेची जा रही है। बीएचयू के नाम पर बड़ी-बड़ी बात सरकार द्वारा की जाती है पर धरातल की स्तिथी दयनीय है। बिना लाइसेंस की दवाई लोगों के जानमाल से खिलवाड़ है। लोगों के स्वास्थ के साथ इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त योग्य नहीं है।
काशी में भाजपा द्वारा ठगने का क्रम जारी
उन्होंने आगे कहा कि बीएचयू आयुर्वेद फार्मेसी का लाइसेंस 31 दिसम्बर 2016 को खत्म हो चुका है इस प्रकार की अनियमितता प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र में लगातार देखने को मिल रहा है, काशी में भाजपा द्वारा ठगने का क्रम जारी है।
BHU में हर रोज मरीज व उनके परिजन अव्यवस्था के भेंट चढ़ते है
अजय राय ने कहा कि बीएचयू में स्ट्रेचर की कमी, तो कभी बेड की कमी, हर रोज मरीज व उनके परिजन अव्यवस्था के भेंट चढ़ते है। बीएचयू में शोध छात्राएं खराब खाने की थाली लेकर पिछले 2 दिन से कुलपति आवास के बाहर 5°C की सर्द रात में भी लगभग 200 शोध छात्राएं (PhD स्कॉलर्स) धरने पर बैठी रहीं। उनका कहना है कि हॉस्टल के मेस में बेहद खराब गुणवक्ता का खाना दिया जा रहा है। उनकी मांग है कि कुलपति खुद आकर उनकी बात सुने।
कुलपति व विवि प्रशासन सभी संवादहीनता की पराकाष्ठा लांघ चुके
वहीं दूसरी तरफ छात्रों का एक बड़ा समूह सेंट्रल लाइब्रेरी में कई तरह की समस्यायों, अव्यवस्थाओं व वाई-फाई न चलने को लेकर धरना दे रहा है। इन छात्र-छात्राओं की समस्यायों हल करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन न तो कोई पहलकदमी कर रहा है और न ही कोई संवाद कर रहा है।भाजपा सरकार,मंत्री से लेकर कुलपति व विवि प्रशासन के अधिकारी सभी संवादहीनता और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा लांघ चुके हैं।
बता दें कि चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आईएमएस) बीएचयू में बिना लाइसेंस ही आयुर्वेदिक दवाएं बनाई व बेचे जानें का मामला सामने आया है। जो लाइसेंस बनवाया गया था, उसका नवीनीकरण ही नहीं कराया गया। लापरवाही का सिलसिला अब तक जारी है। बीएचयू के आयुर्वेदिक संकाय की ओपीडी में रोजाना एक हजार मरीज आते हैं। सब अलग-अलग विशेषज्ञ डॉक्टरों को दिखाते, फिर परिसर स्थित फार्मेसी काउंटर से दवाएं लेते हैं। यह मामला शासन तक पहुंचा, फिर भी कुछ नहीं हुआ। ओपीडी में आने वाले मरीजों को भी यही दवाएं दी जा रही हैं।
इस बात की जानकारी तब मिली जब इसी महीने की दो जनवरी को क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. भावना द्विवेदी ने आयुर्वेदिक फार्मेसी के अधीक्षक प्रो. डीएन सिंह गौतम को पत्र भेजकर लाइसेंस के बारे में जानकारी मांगी थी। तब पता चला कि बीएचयू की तरफ से नवीनीकरण के लिए कई बार पत्राचार किया गया, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो सका। फार्मेसी संचालन की जिम्मेदारी आईएमएस निदेशक पर होती हैं।