वाराणसी। गुरुवार की शाम दो दशकों से भी ज्यादा समय से राष्ट्र के अमर वीर जवानों की स्मृति में गंगा के किनारे पूरे कार्तिक मास जलाये जाने वाले आकाशदीप कार्यक्रम का आयोजन हुआ।मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री नीलकंठ तिवारी, 11 NDRF के कमाण्डेन्ट मनोज शर्मा व तीनों सेना के प्रतिनिधियों समेत अन्य की मौजूदगी में आज से इस आकाशदीप कार्यक्रम की शुरुआत की गई जो पूरे कार्तिक माह तक जारी रहेगी।
जन्म जन्मांतर के पाप ताप को नष्ट करने वाला है यह अकाशदीप:-
काशीविश्वनाथ धाम के अर्चक श्रीकांत मिश्रा ने बताया कि जो हमारी सनातन शाश्वत परंपरा रही है कि हम कार्तिक महीने में प्रतिदिन आकाशदीप जलाते आरहें हैं, केवल घाट पर ही नहीं वरन आने अपने घरों में भी दीप जलाते आ रहे हैं। आकाशदीप हमारे जन्म जन्मांतर कल-कल्पान्तर और युग- युगांतर के पाप ताप को नष्ट करने वाला व हमारे मार्ग को प्रशस्त करने वाला है।
पूर्वजों का मार्ग उज्जवल होता है इस आकाशदीप से:-
गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष प्रशांत मिश्रा ने बताया कि भारतीय शास्त्रों के अनुसार आकाशदीप प्रज्वलित करने की मान्यता यह है कि हमारे पूर्वजों के देव लोग तक के पद को यह आकाश दीप उज्ज्वलित करता है। 1999 कारगिल युद्ध विजय के उपलक्ष्य में अमर शहीदों के पुण्य स्मृति में आकाशदीप संकल्प का रूप दिया था।
आकाश-दीप से जुड़े कथानकों में ऐसी मान्यता है कि महाभारत युद्ध में प्राण विसर्जित करने वाले वीरों की स्मृति में भीष्म ने कार्तिक मास में दीप मालिकाओं से उन्हें संन्तर्पण दिया था। इसी को लेकर काशी के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पंचतीर्थ घाटों पर सम्पूर्ण कार्तिक मास में बाँस की टोकरियों में पूर्वजों-पितरों के स्वर्ग लोक की यात्रा मार्ग को आलोकित करने के लिए आकाश-दीप जलाया जाना प्रारम्भ हुआ, जिसका समापन कार्तिक पूर्णिमा यानी देव दीपावली के दिन लाखो दीप जलाकर होता है।