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350 वर्ष बाद बना बाबा का नया रजत सिघासंन , सिंहासन के लिए काश्मीर से आयी लकडी, ‘शिवाजंलि’ ने जुटाया 11 किलो रजत

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Posted On:Saturday, March 12, 2022

वाराणसी , लोकल न्यूज़ डेक्स ।चौदह मार्च को रंगभरी (अमला) एकादशी पर बाबा विश्वनाथ, माता पार्वती संग प्रथमेश की चल प्रतिमा की पालकी यात्रा के लिए रजत का नया सिघासंन बनवाया गया है। टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर सिंहासन शनिवार को सायंकाल ‘शिवांजलि’ की ओर से बाबा को अर्पित किया जाएगा। 

 
महंत डॉ कुलपति तिवारी ने बताया दो वर्ष पूर्व विश्वनाथ मंदिर स्थित महंत आवास का हिस्सा कॉरिडोर विस्तारीकरण के दौरान अचानक गिर जाने के कारण बाबा की रजत पालकी का सिंहासन एवं शिवाला क्षतिग्रस्त हो गया था। रंगभरी एकादशी महोत्सव के लिए गठित ‘शिवाजंलि’ के माध्यम से काश्मीर के बाबा भक्त मनीष पंडित ने चिनार और अखरोट की लकड़ी सिंहासन के लिए उपलबध कराई। काशी के जगतगंज निवासी काष्ठ शिल्पी शशिधर प्रसाद ‘पप्पू’ ने आकार दिया है। सिंहासन को दशाश्वमेध (भुतेश्वर गली) के कारीगर अशोक कसेरा ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिल कर किया है। खास बात तो यह है कि शशिधर प्रसाद और अशोक कसेरा दोनों ने ही बाबा का सिंहासन तैयार करने के एवज में कोई मेहनताना नहीं लिया है। इन दोनों का कहना है कि बाबा की सेवा का अवसर जीवन में पहली बार मिला है। यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है।
 
‘शिवाजली’ के संयोजक संजीव रत्न मिश्र ने बताया बाबा की वर्तमान पालकी का सिंहासन महंत आवास के अचानक गिरने से क्षतिग्रस्त हो गया था। बाबा की पालकी में लगाने के लिए नये सिघासंन के लिये लखनऊ के रहने वाले शिवम मिश्रा के माध्यम से दिल्ली व कश्मीर के बाबा भक्तों ने सिंहासन के लिए काष्ठ व रजत की व्यवस्था की थी। ‘शिवाजंली’ के सदस्यों ने शनिवार को बाजे-गाजे के साथ नये सिघासंन को टेढ़ीनीम महंत आवास में महंत डॉ कुलपति तिवारी को सौप दिया।


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