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कोरोना संकट ने बढ़ाया मूर्तिकारों का दर्द , इस बार भी नहीं रहेगा दुर्गा पूजा में पहले जैसा उत्साह।

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Posted On:Thursday, October 7, 2021

वाराणसी। पश्चिम बंगाल के बाद वाराणसी में दुर्गा पूजा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। जिसको लेकर कलाकार महीनों पहले से ही प्रतिमा को तैयार  करते हैं। जन्माष्टमी, विश्वकर्मा पूजा के बाद सबसे ज्यादा आय होती है दुर्गा पूजा में। पिछली बार कोरोना के कारण असमंजस की स्थिति बनी तो व्यवसाय काफी प्रभावित हुआ। प्रतिमाओं की बिक्री नहीं हुई तो पड़ी रह गईं। अबकी कोरोना का संकट टला है तो मूर्तिकारों के चेहरे भी खिले नजर आ रहे हैं। अभी से आर्डर मिलने लगे हैं।

कोरोना संक्रमण काल के चलते पिछले साल दशहरा प्रभावित हुआ उसका असर व्यापार पर भी पड़ा था। उस समय संकट का आभास होने पर गिनती के कारीगर आए थे। प्रतिमा निर्माण को पश्चिम बंगाल से एक कारीगर के साथ एक दर्जन सहयोगी भी आते हैं। प्रतिमा का निर्माण तो करते ही, साथ ही पंडाल और साज-सज्जा की भी जिम्मेदारी लेते हैं। डाला छठ पूजा के बाद नवंबर में घर लौट जाते हैं। जिले में नौ माह तक प्रतिमा निर्माण के बाद इनके वर्ष भर का काम पूरा हो जाता है।यहां बनने वाली प्रतिमा पूर्वांचल के कई जिलों में जाती है। कोरोना के दूसरे दौर के थमने के बाद दशहरा से लगायत डाला छठ तक के लिए पूजा कमेटियों ने आर्डर देना शुरू कर दिया है। कलाकार रात-दिन प्रतिमा बनाने में लगे हैं। हालांकि महंगाई के चलते सभी सामानों के दाम में बढ़ोत्तरी से प्रतिमाएं भी महंगी हो गई हैं। फिर भी इस बार उम्मीद है कि सबकुछ ठीक रहा तो सभी प्रतिमाएं बिक जाएंगी।

सरकारी गाइडलाइंस के हिसाब से तैयार की जा रही मूर्तियां :
यूपी में योगी सरकार ने दुर्गापूजा को शर्तो के साथ मनाने की छूट दे दी है।  जिसके तहत पंडालों में पांच फीट ऊंची प्रतिमाओं का स्थापित किया जा सकता है। सरकार के इसी गाइडलाइंस के मुताबिक अब बनारस के मूर्तिकार मूर्तियों को तैयार कर रहे हैं। बताते चले कि 7 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। मिनी बंगाल कहे जाने वाले वाराणसी में दुर्गापूजा का उत्सव धूम धाम से मनाया जाता है। अकेले वाराणसी में 300 से अधिक पंडालों में मूर्ति की स्थापना होती है। 


बंगाली टोला स्थित मूर्तिकार, उदय प्रताप ने बताया कि दुर्गा पूजा  के लिए मूर्तियों की मांग अब पहले जैसी नही होती , कोरोना संकट के बाद खासतौर पर इसका असर देखने को मिल रहा है ।

शासनादेश के अनुसार मूर्तियों को छोटा रखने व अन्य नियमों के कारण भी अब त्योहारों उत्साह में काफी कमी देखने को मिलती है


अबकी 30 हजार तक की प्रतिमाओं के मिले आर्डर:

कलाकार बी पाल का कहना है कि पुआल, मिट्टी, बांस सभी महंगे हो गए हैं।कपड़े भी सस्ते नहीं रहे।सबसे छोटी प्रतिमा पांच और सबसे बड़ी 30 हजार तक की प्रतिमा के आर्डर इस बार अभी तक मिले हैं। पोशांत हलदार, संजीत पाल, सुजीत बाग आदि ने कहा कि इस बार कोई अड़चन नहीं आई तो सब ठीक होगा। पिछली बार दशहरे में नाम मात्र प्रतिमाएं बनी थी, उसे भी कमेटी वालों को ले जाने में परेशानी हुई थी। इस बार अभी सब ठीक नजर आ रहा है।


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