वाराणसी। कोरोना के संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर इस बार बेनियाबाग की बड़ी मंडी नहीं लगी। आपको बता दें कि बक़रीद के मौके पर अलईपुर और बेनियाबाग में अब तक पूर्वांचल की सबसे बड़ी कुर्बानी के बकरे की मंडी लगती थी, जहां ₹ 10,000 से लेकर ₹ 1.5 से ₹ 2 लाख तक के बकरे बिकते थें, पर सामाजिक दूरी का पालन करने के उद्देश्य से इस बार मंडियां अलग-अलग क्षेत्रों में विकेंद्रीकृत कर दी गई। वाराणसी के रेवड़ी तालाब, मदनपुरा, बजरडीहा, लोहता, ककरमत्ता समेत लगभग हर छोटे बड़े इलाके में बकरों का छोटा-छोटा बाजार लगा।
पेट्रोल की बढ़ती कीमतों की चपेट में आया बकरा बाजार-
हमसे हुई खास बातचीत में ककरमत्ता निवासी नजमी खान और सरफराज अंसारी ने हमें बताया कि इस बार बकरों का बाजार कोरोना से काफी प्रभावित हुआ। हर साल की तुलना में इस साल हर बकरे की कीमत में पेट्रोल की बढ़ती कीमतों और कोरोना के लॉकडाउन की पाबंदियों का असर देखने को मिला हर बकरे की कीमत में कम से कम 1.5 से 2 हजार रुपये तक का भारी उछाल देखने को मिला। इस बार की छोटी मंडियों में न्यूनतम 7000 तो वहीं अधिकतम 80000 तक के बकरे वाराणसी क्षेत्र में बिके।
सरफराज और नजमी ने हमें बताया कि वाराणसी में बकरीद पर बिकने वाले कुर्बानी के ज्यादातर बकरे वाराणसी के बाहर इटावा, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ आदि क्षेत्रों से लाए जाते हैं कोरोना की पाबंदीयों के कारण और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के बाद व्यपारियों द्वारा इन बकरों की कीमत में भारी इज़ाफ़ा किया गया।