वाराणसी। राजस्थान और मध्य प्रदेश में हुई भारी बारिश और बांधों से छोड़े गए पानी की वजह से यूपी के कई जिलों में नदियां उफान पर हैं। बाढ़ के कहर से वाराणसी के गांव भी अछूते नहीं हैं। वाराणसी में गंगा नदी, खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, और अभी भी लगातार पानी का बढ़ाव जारी है।
गंगा और वरुणा में आयी भीषण बाढ़ के कारण 41 गांव व शहर के 17 मोहल्ले घिर गये हैं। इनमें रहने वाले 30 हजार 921 लोग प्रभावित हुए हैं। इनके लिए शहर से लेकर गांव तक 21 बाढ़ चौकियां व राहत शिविर बनाये गये हैं। वहां 2848 लोगों ने शरण ली है।
इन गांवो मेें बाढ का बुरा असर:
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के अनुसार प्रभावित होने वाले गांवों में बेटावर, रमना, नैपुराकलां, नैपुरा खुर्द, टिकरी, डोमरी, सूजाबाद, मुस्तफाबाद, चांदपुर, छितौनी, तातेपुर, राजापुर, कोटवां, सेहवार, शिवदशा, बर्थरा, गंगापुर, देवरिया, धराधर, रामपुर, गोबरहां, रामचंदीपुर, अजगरा, इमलियां, लूठकलां, मोकलपुर, छितौनी, गौरा, पिपरी, डूडवा, कमौली, लूठाखुर्द, बर्थराकलां, कैथी, शहंशाहपुर, करसड़ा, परसूपुर, माधोपुर, जमुनीपुर, तिलंगा और मरूई आदि शामिल हैं। वहीं, शहर का चौकाघाट, सरैयां,, सलारपुर, सिकरौल, कोनिया, नक्खीघट, हुकुलगंज, काशीपुरम, दनियालपुर, अमरपुर, घौसाबाद, नगवां, शिवगंगा, भगवानापुर, सीरगोवर्धनपुर, सिवराज नगर और डाफी शामिल है।
जिलाधिकारी ने आगे बताया कि जनपद में कुल 1353 सूखा राशन किट का वितरण किया जा चुका है। बाढ़ क्षेत्र में निगरानी करने के लिए कुल 31 मोटर बोट, 39 मझौली, 15 छोटी सहित कुल 85 नावों को संचालित किया जा रहा है।
बता दें कि वाराणसी में गंगा खतरे के निशान को पार करते हुए इस वक्त 72 मीटर तक जा चुकी है। मतलब खतरे के निशान से लगभ एक मीटर ऊपर गंगा का जलस्तर पहुंच चुका है। जिसके कारण गंगा अब शहर में प्रवेश कर चुकी हैं।
रमना के ग्रामीणों ने दी मतदान बहिष्कार की चेतावनी:
सब्जियों की खेती के लिए मशहूर वाराणसी के रमना गांव में आधा से ज्यादा मकान जलमग्न हो चुके हैं।खेतों के ज्यादातर हिस्सों में गंगा का पानी भर गया है, जहां नाव चल रही है। वहीं ग्राम प्रधान की अगुवाई में ग्रामीणों ने तटबंध न बनने की स्थिति में, 2022 विधानसभा चुनाव में मतदान के बहिष्कार की चेतावनी भी दे दी है।
ग्राम प्रधान ने कहा है कि वे लगातार अधिकारियों के संपर्क में है और छानबीन हो रही है। अभी सिर्फ सर्वे हो रहा है। ग्राम प्रधान ने चेतावनी भी दी कि अगर इस बार भी उनके गांव में गंगा के पानी को रोकने के लिए तटबंध नहीं बना तो उनके साथ सभी गांव के लोग 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में मतदान का बहिष्कार करेंगे।