वाराणसी। अंधाधुन यूरिया के उपयोग पर हेल्थ कार्ड व जैविक खाद की उपलब्धता ने काफ़ी हद तक लगाम लगाया है। वाराणसी जनपद में 2 साल के आंकड़ों पर ध्यान दे तो यह तस्वीर साफ हुई है कि रासायनिक उर्वरकों की खपत होने से ज्यादा खेत उर्वर हुए हैं। वही अनाजों में पौष्टिकता भी बड़ी है।
खेतों की उर्वरा शक्ति बनाए रखने और अंधाधुन उर्वरकों के प्रयोग को नियंत्रण करने के उद्देश्य से दो चरणों में 2015-17 तथा 17-18 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाया गया है। जिले में कुल जोत आधारित संख्या 3,40,595 के सापेक्ष 2,35,427 मृदा कार्ड वितरित किए गए हैं। 2020-21 में सेवापुरी में 28,109 कार्ड किसानों के बने 2 सालों से 8,976 हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती में परिवर्तित करने का प्रयास किया जा रहा है।
आंकड़ों की माने तो पहले किसान बोरे के हिसाब से यूरिया डालता था। अब 50 की जगह 45 किलो की बोरियां आने लगी है। जिसका असर देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि 2020 में जहां 2,783 टन यूरिया खेतों में उपयोग किया गया उसी अवधि व उतने ही क्षेत्रफल में अभी तक 2,118.13 टर्न का प्रयोग किया गया। जिला कृषि अधिकारी अश्विनी कुमार सिंह ने बताया है कि रासायनिक उर्वरक की खपत मैं कमी के कई कारण है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनने के बाद किसानों में जागरूकता बढ़ी है। जैविक खेती के प्रति भी रुझान बढ़ा है।