वाराणसी, 1 जून। विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर सोमवार को बीएचयू, सीएमओ आफिस सहित अलग-अलग जगहों पर हुए आयोजनों के माध्यम से लोगों ने तंबाकू के छोड़े जाने के लिए लोगों को जागरूक करते रहने का संकल्प लिया। इस दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि तंबाकू के सेवन से जान का खतरा है। इससे फेफड़े कमजोर होने के साथ ही सांस फूलने लगता है।
सीएमओ कार्यालय में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सीएमओ डॉ. वीबी सिंह ने अधिकारियों, कर्मचारियों को तंबाकू निषेध दिवस पर शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में तंबाकू और बीड़ी सिगरेट का सेवन तो स्वास्थ्य के लिए और भी हानिकारक है। इसके इस्तेमाल से जहां शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है वही यह फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है। बीड़ी सिगरेट पीने अन्य किसी रूप में तंबाकू का सेवन करने वालों को करीब 40 तरह के कैंसर जबकि 25 अन्य बीमारियों का खतरा रहता है।
एडिशनल सीएमओ डॉ. पीपी गुप्ता ने बताया कि धूम्रपान करने से सांस की नली और फेफड़े भी कमजोर होने लगते हैं। तंबाकू खाने के बाद उसे थूकने से भी कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा होता है। सबसे ज्यादा जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं और अगर उसके आसपास कोई धूम्रपान कर रहा है तो वह भी धूआं सिगरेट न पीने वालों को फेफड़े में पहुंचता है। कार्यक्रम में जिला तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जिला सलाहकार डॉ. सौरभ सिंह, एडिशनल सीएमओ डॉ. एके मौर्य, डीपीएम संतोष सिंह, डॉ. अतुल सिंह, काउंसलर अजय श्रीवास्तव, संगीता सिंह आदि मौजूद रहे।
मुंह के कैंसर से मरने वालों की संख्या अधिक
विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर बीएचयू दंत चिकित्सा संकाय में आयोजित कार्यक्रम में संकाय प्रमुख प्रो. विनय श्रीवास्तव ने कहा कि मुंह का कैंसर एक सबसे गंभीर कैंसर रोग है, इस रोग से मरने वालों की संख्या भी अधिक है। हर 10 रोगी में से एक रोगी की मौत होती है। इतना ही नहीं आश्चर्यजनक रूप से इस समय कैंसर के रोगी होने में विश्व में भारत का पहला स्थान है। शोध के आंकड़ों के आधार पर 80 से 85 प्रतिशत मुख कैंसर रोग तंबाकू, खैनी, बीड़ी, सिगरेट से होते हैं। कार्यक्रम में प्रो. नवीन कुमार, प्रो. अदित, डॉ. पवन दुबे, डॉ. महेश आदि लोग मौजूद रहे। उधर, बीएचयू में भी ऑनलाइन आयोजित कार्यक्रम में संकाय प्रमुख, वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षकों, कर्मचारियों को तंबाकू सेवन न करने की शपथ दिलाई गई।