वाराणसी। बीते 10 जुलाई को श्री अन्नपूर्णा मठ के महंत श्री रामेश्वर पूरी की ईलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद से मठ के महंत की गद्दी खाली पड़ी थी। मंगलवार को सर्व सहमति से उप महंत श्री शंकरपुरी को अन्नपूर्णा मठ के महंत के रूप में चयनित किया गया।
मंदिर में दिवंगत महंत जी की श्रद्धांजलि सभा चल रही है। श्रद्धांजलि सभा में रोहतक, मध्यप्रदेश, हरिद्वार, बनारस, प्रयागराज समेत कई राज्यों और प्रदेशों से पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा से आये संतों ने सर्वसम्मति से शंकरपुरी को चादरपोशी कर गद्दी पर विराजमान कर दिया है।
इसी के साथ श्री अन्नपूर्णा मंदिर के दिवंगत महंत रामेश्वरपुरी के निधन को लेकर पीएम मोदी ने ट्वीटर से शोक जताने के बाद मंदिर के महंत शंकरपुरी को शोक पत्र भेजा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने लिखा है कि महंत जी के देहावसान के बारे में जानकर अत्यंत दुःख हुआ। इस मुश्किल समय में मेरी संवेदनाएं शुभचिंतकों के साथ हैं। महंत रामेश्वर पुरी जी का जीवन धर्म और अध्यात्म को समर्पित था। उनके कुशल नेतृत्व में काशी अन्नपूर्णा क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा लोक कल्याण के लिए अनवरत प्रयास किए गए, उन्होंने सदैव लोगों को सामाजिक कार्यों के लिए प्रेरित किया। उनका निधन समाज के लिए का अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह दिवंगत आत्मा को शांति दें और इस कठिन घड़ी में शोक संतप्त शुभचिंतकों को दुख सहने का धैर्य और संबल प्रदान करें।
बेहद खास है माँ अन्नपूर्णा का धाम :-
बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ ही दूर माता अन्नपूर्णा का मंदिर है। इन्हें तीनों लोकों में खाद्यान्न की माता माना जाता है। कहते है कि माता ने स्वयं भगवान शिव को खाना खिलाया था। इस मंदिर की दीवारों पर ऐसे चित्र बने हुए हैं। एक चित्र में देवी कलछी पकड़ी हुई है। इस मंदिर में साल में केवल एक बार अन्नकूट महोत्सव पर मां अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा को सार्वजनिक रूप से एक दिन के लिऐ दर्शनार्थ निकाला जाता है। तब ही भक्त इनकी अद्भुत छटा के दर्शन कर सकते हैं। अन्नपूर्णा मंदिर के प्रांगण में कुछ अन्य मूर्तियां स्थापित है, जिनके दर्शन सालभर किए जा सकते हैं। इन मूर्तियों में मां काली, शंकर पार्वती और नरसिंह भगवान के मंदिर में स्थापित मूर्तियां शामिल हैं। बताते हैं कि अन्नपूर्णा मंदिर में ही आदि शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्त्रोत् की रचना कर के ज्ञान वैराग्य प्राप्ति की कामना की थी। ऐसा ही एक श्लोक है अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकरप्राण बल्लभे, ज्ञान वैराग्य सिद्धर्थं भिक्षां देहि च पार्वती। इस में भगवान शिव माता से भिक्षा की याचना कर रहे हैं।