ताजा खबर
ICICI और Yes Bank के सर्विस चार्ज बदले, Axis ने भी किया बड़ा ऐलान   ||    मलेशियाई नौसेना के हेलीकॉप्टर हवा में टकराए, 10 की मौत   ||    मलेशियाई नौसेना के हेलीकॉप्टर हवा में टकराए, 10 की मौत   ||    लोकसभा चुनाव 2024: सबसे बड़ा लोकतंत्र मतदान क्यों नहीं कर रहा?   ||    Earth Day 2023: पृथ्वी दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?   ||    फैक्ट चेक: उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के बीच CM धामी ने सरेआम बांटे पैसे? वायरल वीडियो दो साल पुराना...   ||    मिलिए ईशा अरोड़ा से: ऑनलाइन ध्यान खींचने वाली सहारनपुर की पोलिंग एजेंट   ||    आज का इतिहास: 16 अप्रैल को हुआ था चार्ली चैपलिन का जन्म, जानें अन्य बातें   ||    एक मंदिर जो दिन में दो बार हो जाता है गायब, मान्यता- दर्शन मात्र से मिलता मोक्ष   ||    फैक्ट चेक: कानपुर में हुई युवक की पिटाई का वीडियो 'ब्राह्मण पर पुलिसिया अत्याचार' के गलत दावे के साथ...   ||   

गंगा में शैवाल की समस्या दूर करने के लिए जर्मनी की खास तकनीक अपनाई जाएगी

Photo Source :

Posted On:Tuesday, June 15, 2021

वाराणसी, 15 जून 2021 | वाराणसी में गंगा में शैवाल की समस्या को दूर करने के लिए जर्मनी की बायोरेमेडिएशन तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। शैवाल की समस्या को देखते हुए पहली बार नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा ने गंगाजल में इसके ट्रायल को मंजूरी दी है। वाराणसी और गाजीपुर में दो जगहों पर बायोरेमेडिएशन तकनीक का ट्रायल चल रहा है। वाराणसी में दो दिनों के ट्रायल से नदी विशेषज्ञ बेहद उत्साहित हैं। मिर्जापुर से लेकर बलिया तक गंगा में होने वाली शैवाल की समस्या को दूर करने में यह तकनीक बेहद कारगर साबित हो सकती है। 
 
 
गंगा में आने वाले समय में शैवाल की समस्या से निजात दिलाने के लिए जर्मन तकनीक कारगर होगी। जैव चिकित्सा पद्धति से गंगा में शैवालों का इलाज किया जाएगा। नमामि गंगे के तकनीकी परियोजना अधिकारी नीरज गहलावत ने बताया कि गंगा में पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। वाराणसी में फास्ट ट्रायल के लिए दशाश्वमेध घाट को चुना गया था और दो दिनों तक हुए केमिकल छिड़काव के बाद गंगाजल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
 
 
शैवाल तेजी से समाप्त हो गए। वहीं गाजीपुर में पक्का पुल के पास डेढ़ किलोमीटर गंगा का क्षेत्र ट्रायल के लिए चुना गया है। इसमें 27 मई से 27 जून तक बायोरेमेडिएशन तकनीक का इस्तेमाल करके आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। गंगा में बायोरेमेडिएशन तकनीक का लंबे समय तक प्रभाव का अध्ययन करने के लिए गाजीपुर को चुना गया है। वाराणसी की रिपोर्ट को एनएमसीजी को सौंपी जाएगी और उसके आधार पर ही तकनीक के इस्तेमाल का निर्णय लिया जाएगा। 
 
कुंभ में हो चुका है इस्तेमाल, नहीं होगा दुष्प्रभाव
दशाश्वमेध घाट पर गंगा में साढ़े सात किलोग्राम बायोरेमीडिएशन का छिड़काव किया गया। इससे गंगा का पानी तेजी से साफ हो रहा है। इसकी मात्रा एक हजार लीटर पानी में ढाई किलोग्राम लगती है। तकनीकी अधिकारी ने बताया कि 2019 के कुंभ में प्रयागराज में कई सारे कुंड व नालों का पानी शोधित करने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। अभी तक इसका कोई भी नकारात्मक प्रभाव देखने को नहीं मिला है। गंगा स्नान से किसी व्यक्ति को भी स्वास्थ्य सबंधी समस्या नहीं होगी।


बनारस और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. banarasvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.