संकट मोचन मंदिर में ज्यादातर श्रद्धालुओं ने मंदिर के बाहर से किया दर्शन पूजन
वाराणसी, 27 अप्रैल। चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर मंगलवार को पवनपुत्र हनुमान की जयंती उत्साह के साथ मनाई जा रही है। श्रीसंकट मोचन सहित प्रमुख हनुमान मंदिरों में कोविड काल के बावजूद श्रद्धालु उत्साह से दरबार में पहुंचते रहे। श्रीसंकट मोचन मंदिर के बाहर से ही ज्यादातर श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन किया।
इस दौरान युवा श्रद्धालुओं ने श्रीसंकट मोचन से कहर बरपा रहे कोरोना से मुक्ति दिलाने की गुहार भी लगाई। जिन श्रद्धालुओं की आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव रही इसे दिखाने पर ही उन्हें मंदिर में प्रवेश की अनुमति मिल रही थी। इसके पहले तड़के मंदिर के प्रधान पुजारी ने संकटमोचन प्रभु के विग्रह को पंचामृत स्नान करा सिन्दूर लेपन के बाद नवीन वस्त्र धारण कराया। इसके बाद तुलसी व गेंदा के फूलों से श्रृंगार कर भोग लगाने के बाद भव्य आरती की। इसके बाद मंदिर का पट आम श्रद्धालुओं के लिए खोला गया।
इसी तरह दुर्गाकुंड स्थित बनकटी हनुमान मंदिर,वरूणापार के अर्दलीबाजार महावीर चौराहा स्थित बड़े हनुमान जी और अन्य मंदिरों में भी जयंती पर हनुमत प्रभु का खास श्रृंगार किया गया। खास बात ये रही कि इस बार मंगलवार को हनुमत जयंती पड़ने के कारण इसका महत्व भक्तों में विशेष रहा। पवनपुत्र केशरीनंदन का जन्म मंगलवार को ही हुआ था।
बनकटी हनुमान मंदिर के पुजारी पं. गया प्रसाद मिश्र ने बताया कि पवनपुत्र का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था। भगवान राम के कार्य के लिए स्वंय भगवान शिव हनुमान के रूप में अवतरित हुए है। माता जानकी ने इनको अजर अमर होने का वरदान दिया है, यह अष्ट सिद्ध नवनिधि के दाता है। इनको कलियुग का देवता कहा जाता है। हनुमान का जन्मोत्सव पूरे भक्तिभाव, श्रद्धा व आस्था के साथ मनाने से कल्याण ही होता है। उन्होंने बताया कि जिस व्यक्ति के जन्मकुंडली में शनिग्रह की दशा, महादशा अथवा अंतर्दशा का प्रभाव हो तथा शनिग्रह की अढ़ैया या साढ़ेसाती का प्रभाव हो, उन्हें आज के दिन व्रत रखकर हनुमान जी का विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए। आज के दिन व्रत रखने से हनुमान जी की विशेष कृपा मिलती ही है और रोगों से छुटकारा मिलता है।