ताजा खबर
बुलेट ट्रेन: प्रोजेक्ट का पूरा होना इस प्रमुख कारक पर निर्भर करता है, आरटीआई से पता चला   ||    ICICI और Yes Bank के सर्विस चार्ज बदले, Axis ने भी किया बड़ा ऐलान   ||    मलेशियाई नौसेना के हेलीकॉप्टर हवा में टकराए, 10 की मौत   ||    मलेशियाई नौसेना के हेलीकॉप्टर हवा में टकराए, 10 की मौत   ||    लोकसभा चुनाव 2024: सबसे बड़ा लोकतंत्र मतदान क्यों नहीं कर रहा?   ||    Earth Day 2023: पृथ्वी दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?   ||    फैक्ट चेक: उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के बीच CM धामी ने सरेआम बांटे पैसे? वायरल वीडियो दो साल पुराना...   ||    मिलिए ईशा अरोड़ा से: ऑनलाइन ध्यान खींचने वाली सहारनपुर की पोलिंग एजेंट   ||    आज का इतिहास: 16 अप्रैल को हुआ था चार्ली चैपलिन का जन्म, जानें अन्य बातें   ||    एक मंदिर जो दिन में दो बार हो जाता है गायब, मान्यता- दर्शन मात्र से मिलता मोक्ष   ||   

अपने बच्चों को कान्वेंट स्कूल में पढ़ाने की झूठी आन-बान-शान के चक्कर में पिस रहे है लाचार अभिभावक

Photo Source :

Posted On:Sunday, March 13, 2022

देश में हर वर्ष लाखों बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाते हैं। उसमेें अभिभावकों की लापरवाही या फिर स्कूल संचालकों की मनमाने तरीके से अधिक फीस होने के कारण अभिभावकों की मजबूरी भी हो सकती है। क्योंकि निजी स्कूल संचालक तो खुद ही अपने नियम बनाकर शिक्षा के नाम पर अवैध वसूली कर रहे हैं। निजी स्कूल संचालक बुकसेलरों से बिकने वाले स्कूल कोर्सों पर ले रहे हैं 50-60 प्रतिशित तक कमीशन, हर साल बच्चो के कोर्स की किताब कमीशन के चक्कर में मामूली फेरबदल के साथ आती है, लगभग हर साल ड्रेस और जूता भी निजी स्कूल बदल देता है, रीएडमिशन फीस, डेवलपमेंट फीस और पता नहीं कितने तरीको की फीस के नाम पर अभिभावकों का जमकर दोहन होता है और इस कमरतोड़ मंहगाई में अपने बच्चों को नामी गिरामी स्कूलों में पढ़ाने की होड़ का निजी स्कूल जमकर फायदा उठा रहे है

 
सरकारी स्कूलों के ढुलमुल रवैये और गैर सरकारी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली के कारण सैकड़ों बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित है। जहाॅ एक तरफ प्राईवेट स्कूल संचालकों की मनमानी व फीस के नाम पर अवैध वसूली से अभिभावक त्रस्त हैं तो वहीं सरकारी विद्यालयों के अध्यापक/अध्यापिकायें स्कलू में समय से पहॅचकर बच्चों को शिक्षा देने के बजाय अपनी-अपनी आस्तीनें चढ़ाकर सरकारी कार्यालयों पर नेतागीरी कर रहे हैं तो कुछेक स्कूल में हाजिरी लगाने के बाद रफू चक्कर हो जाते है। निरंकुश निजी स्कूल संचालकों ने अपने स्वयं के नियम बनाकर विद्यालयों केा शिक्षा की दुकान बनाकर अवैध वसूली करना शुरू कर दिया है। ये निजी संचालक अभिभावकों से स्कूल में हर तरह की सुविधाओं का वादा करके उनकी जेब को हल्का कर रहे हैं। सभी निजी स्कूलों द्वारा अपने स्कूल के कोर्स भी एक निश्चित बुकसेलर पर ही बिकवाये जाते हैं और उस कोर्स पर 50 से 60 प्रतिशित तक कमीशन खुद ही लेते हैं। ऐसे माहौल में गरीब तबके का अभिभावक अपने बच्चों केा उचित शिक्षा कैसे दिलाये। 
 
यही कारण हैं कि हर चाय की दुकान से लेकर ढाबा एवं किराना आदि की दुकानों पर छोटू या पप्पू मिल जायेगा। उनके लिए कहाॅ गया वो शिक्षा का हक , सिवाय कागजों में दफन होने के।
 
 
क्या हैं आरटीई या शिक्षा का अधिकार.............
 
 01 अप्रैल 2010 को आरटीई यानि राईट टू ऐजूकेशन अर्थात शिक्षा का अधिकार एकसाथ देशभर में लागू किया गया था। जिसके तहत पहली कक्षा से आठवीं तक इसके तहत बच्चों केा मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है। इस अधिकारी के तहत 06 वर्ष से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों केा अपने आसपास के प्रत्यके स्कूल में दाखिला का अधिकार होगा, चाहे वो स्कूल सरकारी हो या गैर सरकारी या अन्य। इस नियम के तहत गैर सरकारी, निजी या अन्य किसी भी स्कूल में 25 फीसदी सीटें गरीब वर्ग के बच्चों को मुफ्त में मुहैया करानी होंगी। इसके तहत जो गरीब बच्चा निजी या कान्वेंट स्कूल में दाखिला लेते हैं, उनकी सूचा प्राप्त होने पर राज्य सरकार उन्हें पैसों का नियमानुसार भुगतान करती हैै।
 
*आरटीई की अवहेलना पड़ सकती है भारी..........
 
 यदि कोई स्कूल अनुच्छेद 21 क और आरटीई अधिनियम 01 अप्रैल 2010 की अवहेलना करता है तो उक्त् स्कूल के खिलाफ सख्त कार्यवाही का प्रावधान है जिसके अनुसार यदि कोई गैर सरकारी स्कूल 25 प्रतिशित सीटें गरीब परिवार के बच्चो को मुहैया नहीं करवाता है तो उसके खिलाफ शिकायत होने पर उसकी मान्यता निरस्त की जा सकती है या 25 हजार से 50 हजार रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है।
 
और भी हैं स्कूलों के मानक.......
 
 सभी स्कूलों में शिक्षित-प्रशिक्षित अध्यापक/अध्यापिकायें होने चाहिए और अध्यापक-छात्र का अनुपात 1ः30 होना चाहिए। इसके अलावा स्कूलों में मूलभूत सुविधायें जैसे- हवादार कक्ष, खेल का पर्याप्त मैदान, पीने का स्वच्छ पानी, पुस्तकालय आदि की अनिवार्य रूप से व्यवस्था होनी चाहिए। स्कूल की इमारत भी मानकों के अनुरूप ही बनी होनी चाहिए, जिससे कि आये दिन स्कूलों की इमारतें गिरने वाली घटनायें न हो सकें। इसके अलावा स्कूल परिसर के आसपास या अन्दर बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, तंबाकू, मसाले आदि की दुकान नहीं होनी चाहिए।


बनारस और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. banarasvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.