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सावन के पहले दिन बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़, कोविड प्रोटोकॉल का रखा गया पूरा ध्यान।

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Posted On:Sunday, July 25, 2021

वाराणसी। भोले की नगरी काशी में सावन महीने की अलग ही धूम होती है, शिव की भक्ति में लीन हर काशीवासी बाबा को अपने कर कमलों से जल चढ़ाने और उनका अभिषेक कर पूजन करने को बेताब रहतें हैं। 
 
रविवार दिनांक 25 जुलाई 2021 को सावन माह का पहला दिन शुरू हो गया है और पहले ही दिन बाबा काशी विश्वनाथ के धाम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ बाबा के दर्शन पूजन को उमड़ पड़ी। कोई हाथों में जल लिए तो कोई फूल माला की डाली लिए कतार में खड़ा रहा। अच्छी बात ये है कि मंदिर प्रशासन द्वारा कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा पालन दर्शनार्थियों से कराया जा रहा है। इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि भक्ति भाव के बीच संक्रमण का फैलाव बिल्कुल भी न हो सके। 
 
सावन 2021:- 
 
25 जुलाई से श्रावण यानी सावन का महीना आरंभ होगया है जो 22 अगस्त दिन रविवार को समाप्त होगा। सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को वहीं दूसरा सोमवार 02 अगस्त को, तीसरा सोमवार 09 तो चौथा सोमवार 16 अगस्त को होगा। 
 
काशी विश्वनाथ धाम भी है विशेष तैयारी में :- 
 
श्री काशी विश्वनाथ धाम भी इस बार श्रद्धालुओं के लिए अलग सी तैयारी में हैं, इस बार जहाँ एक ओर श्रद्धालुओं को बाबा का भव्य निर्माणाधीन कॉरिडोर व विशिष्ट प्रांगड़ (निर्माणाधीन) देखने को मिलेगा वहीं धूप और गर्मी से राहत देने के लिए रेड कारपेट और पीने के साफ ठंडे पानी की व्यवस्था भी देखने को मिलेगी, साथ ही साथ दर्शनार्थी बाबा की मंगला आरती का लुत्फ बड़ी एलईडी स्क्रीन पर भी देख सकतें हैं। सोमवार को उमड़ने वाले भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन गर्भ गृह में प्रवेश वर्जित कर करघे से बाबा को जल अर्पित करने की व्यवस्था बनाई है, ताकि दर्शनार्थियों को कतारों में ज्यादा वक्त न जाया करना पड़े और कोविड प्रोटोकॉल के तहत स्पर्शरहित दर्शन भी हो जाये। 
 
 
सावन माह से जुड़ी पौराणिक कथा:- 
 
पौराणिक कथा के अनुसार, कहा जाता है। देवासुर संग्राम में समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को कैलाशपति भगवान शिव जी ने पी लिया था। विष के प्रभाव से उनका शरीर बहुत ही ज्यादा गर्म हो गया था जिससे शिवजी को काफी परेशानी होने लगी थी। भगवान शिव को इस परेशानी से बाहर निकालने के लिए इंद्रदेव ने जमकर वर्षा की। कहते हैं कि यह घटनाक्रम सावन के महीने में हुआ था। इस प्रकार से शिव जी ने विषपान करके सृष्टि की रक्षा की थी। तभी से यह मान्यता है कि सावन के महीने में शिव जी अपने भक्तों का कष्ट अति शीघ्र दूर कर देते हैं।
 
 


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