वाराणसी। उत्तर प्रदेश के उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार, कृषि निर्यात राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कृषकों के योगदान की सराहना करते हुये कहा कि यदि वे 10 बीघा कृषि फसलों की खेती कर रहें है तो 2 बीघा औद्यानिक फसलों (शाकभाजी, पुष्प, मसाला एवं औषधि) की भी खेती करें। औद्यानिक फसलें कृषि कार्य का पावर हाऊस/इंजन है, जो आपको आर्थिक समृद्वि की ओर ले जायेगा।
उत्तर प्रदेश के उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार, कृषि निर्यात राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह रविवार को एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अन्तर्गत कमिश्नरी सभागार आयोजित कार्यक्रम में किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वाराणसी मण्डल में औद्यानिक कार्य हेतु आवश्यक इकाईयाॅं (सेन्टर आफ एक्सीलेन्स, पाली हाऊस, कोल्ड चेन, पैक हाऊस) निर्माण में धनराशि की कोई कमी नहीं होने दी जायेगी। सेन्टर आफ एक्सीलेन्स में फसल विशेष के पौध उत्पादन की नवीन वैज्ञानिक तकनीकी से स्ट्राबेरी, सब्जी के बेहन एवं कमलम (ड्रैगन फू्रट) के पौध तैयार किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि पहले कृषि/औद्यानिक फसलों के साथ गोपालन किया जाता था। परन्तु अब मधुमक्खी पालन आवश्यक हो गया है। मधुमक्खी पालन से फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है। मौन पालन को व्यापक स्तर पर अपनाने की आवश्यकता है। उद्यान विभाग के कर्मचारियों को कृषकों तक विभागीय योजनाओं की एवं नवीन वैज्ञानिक तकनीको की जानकारी सरल भाषा में उपलब्ध कराने के लिये पैम्पलेट तैयार कर ग्राम स्तर पर वितरित कराने के निर्देश दिये गये, जिससे विभागीय योजनाओं का लाभ कृषकों को अधिक से अधिक संख्या में प्राप्त हो सके। उन्होंने कृषि विपणन के अधिकारियों से किसानों के हित में योजना बनाने के निर्देश दिये। जिससे कि मण्डी समितियाॅ जन कल्याणकारी साबित हो सके और कृषकों को उनके उत्पाद का अधिक लाभ प्राप्त हो सके। गोष्ठी के अवसर पर उद्यान मंत्री द्वारा औद्यानिक क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले वाराणसी मण्डल के 5 औद्यानिक कृषकों को सम्मानित किया गया।
विधान परिषद सदस्य लक्ष्मण आचार्य द्वारा किसान को समृद्ध, सुखी और आत्मनिर्भर बनाने के लिये परम्परागत खेती के स्थान पर आधुनिक खेती अपनाने की अपील की गई, जिससे कृषक समृद्ध हो सके। इस कार्य में उद्यान विभाग द्वारा की जा रही पहल की भी सराहना की गई। विधायक पिण्ड्रा डा0 अवधेश सिंह द्वारा कृषकों के उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त हो सके उसके लिये समुचित प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। प्रधानमंत्री जी की मन की बात कार्यक्रम में सीतापुर के औद्यानिक कृषक की चर्चा प्रधानमंत्री जी की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की ओर इशारा करता है। उद्यान विभाग के निदेशक डा0 आर0के0 तोमर द्वारा उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी कृषकों को दी गई। निदेशक द्वारा पौधों के स्वास्थ पर विशेष ध्यान देने का आह्वान किया गया। जिससे कि गुणवत्तायुक्त फसल प्राप्त की जा सके। 2000 वर्गमी0 के पाली हाऊस में बेमौसम सब्जी के खेती करने से 30 से 40 हजार प्रति महिने की आमदनी प्राप्त की जा सके। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना में उपलब्ध 35 प्रतिशत बैंक लिंक्ड सब्सिडी का लाभ लेने की भी जानकारी कृषकों को दी गयी। गंगा के किनारे फलदार पौधों के बागों की स्थापना कर रू0 3000/- प्रति माह 3 वर्षो तक का भी लाभ लेकर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ करने का सुझाव दिया गया। गोष्ठी में डा0 राजकुमार सोनकर, प्रधान वैज्ञानिक, सी0सी0आर0आई0, नागपुर द्वारा नीबूवर्गीय फसलों की उत्पादन की तकनीकी जानकारी दी गयी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो0 अनिल कुमार सिंह द्वारा ग्लैडियोलस, गुलाब, रजनीगधां, जरबेरा, गेंदा आदि पुष्पों के उत्पादन की तकनीकी एवं डा0 ए0के0 पाल द्वारा वैज्ञानिक विधि से पौध रोपण के बारे में जानकारी दी गई। भारतीय सब्जी अनुसंधान सस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा0 ए0एन0 त्रिपाठी द्वारा पावर प्वाइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से सब्जियों के प्रमुख रोग एवं उनके निदान के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी। डा0 गोविन्द देव मिश्रा द्वारा मशरूम की खेती एवं डा0 राम आशीष सिंह द्वारा मौन पालन एवं उसके लाभ के बारे में बताया गया। गोष्ठी में आये सभी व्यक्तियों का स्वागत सुभाष कुमार जिला उद्यान अधिकारी द्वारा किया गया तथा उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों एवं कृषकों का धन्यवाद ज्ञापन जयकरन सिंह उप निदेशक उद्यान द्वारा किया गया। गोष्ठी का संचालन ज्योति कुमार सिंह उद्यान निरीक्षक द्वारा किया गया। गोष्ठी के अवसर पर विभिन्न विभागों एवं निजी फर्माें द्वारा आकर्षक स्टाल भी लगाये गये थे।
गोष्ठी में विधान परिषद सदस्य लक्ष्मण आचार्य, विधायक पिण्ड्रा डा0 अवधेश सिंह एवं डा0 आर0के0 तोमर निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उ0प्र0 सहित जिला उद्यान अधिकारी जौनपुर, चन्दौली, गाजीपुर एवं प्रधानाचार्य राजकीय खाद्य विज्ञान प्रशिक्षण केन्द्र सहित मण्डी एवं कृषि उत्पाद निर्यात, कृषि विपणन विभाग के अधिकारी उपस्थित रहें।