वाराणसी। भारत की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली, सुबह-ए-बनारस और जिला प्रशासन वाराणसी के संयुक्त तत्त्ववधान में गुरुवार को रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर सिगरा में "अमृत स्वरधारा- नृत्य एवं संगीत उत्सव, आजादी का अमृत महोत्सव" का त्रिदिवसीय आयोजन के द्वितीय संध्या की प्रथम प्रस्तुति भारतीय संस्कृति की गौरव गाथा का लयात्मक प्रदर्शन कलाक्षेत्र फाउंडेशन, तमिलनाडु द्वारा "वीर सुधन धीरम" नृत्य नाटिका के माध्यम से अत्यंत रोचक एवं प्रभावी रूप से प्रदर्शित किया गया।
सम्पूर्ण प्रसंग चार भाग में था। प्रथम भाग भारतीय मूल्यों आस्था से संबंधित था, दूसरा भाग सामाजिक व्यवस्था पर कटाक्ष रहा। तीसरे भाग में अपने महापुरषों की सीख के प्रति ध्यान आकर्षित करने के लिए आत्म संकल्प और दृढ़ता के साथ अपने दायित्व के प्रति समर्पण से जुड़ा था। अंतिम भाग में स्वतंत्रता, समानता, नारी के महत्व और शिक्षा आदि महत्वपूर्ण सामायिक विषयों को अत्यंत ही निपुणता से सशक्त रूप में प्रस्तुत किया गया। नृत्य कलाकार हरिपदमन, गिरीश मधु, जयकृष्ण, संजीत लाल, श्रीदेवी बी आर, जेनेट जेम्स, मालविका आदि रहे। संगीत में नाट्टू वंगम, मृदंगम, वायलिन, बांसुरी और वीना के सिद्धहस्त संगतकारों ने अत्यंत कुशलता से अपनी प्रस्तुति से सहयोग किया।
दूसरी प्रस्तुति नागा पारंपरिक लोक संगीत का रहा जिसे द रिफाइनर क्वायर नागालैंड ने प्रस्तुत किया।श्रीमती सुपोंगसंगला जमीर के निर्देशन में लोक संगीत के विभिन्न स्वरूप की प्रस्तुति केन मीमर किन, एकम संग्रो, सिंग एंड डांस, वॉरियर्स कॉल्स, बाबा येतु, ऐ मेलोडी सांग, आदि द्वारा अत्यंत ही आकर्षक कार्यक्रम ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।मुख्य कलाकार सोप्रानोस, इमानतीला, मेरेन जुंगला, अससुला आदि रहे।
उत्तर प्रदेश के स्टाम्प एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल ने कलाकारों को सम्मानित किया। लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से भारतवर्ष के प्रतिष्ठित कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन काशी में आकर करते है। यह आयोजन सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत उच्चकोटि का है और यह हम सब काशी और प्रदेशवासियों के लिए कला संस्कृति के संवर्धन की दृष्टि से उपहार स्वरूप है।
कार्यक्रम में हेलेन आचार्य संगीत नाटक अकादमी, डॉ रत्नेश वर्मा, सचिव सुबह ए बनारस, तापस दास, अतुल सिंह, डॉ विधिनागर, सुरेन्द्र रावत आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम संचालन जैनेंद्र सिंह द्वारा किया गया।