हिंदी वर्ष का प्रथम नवरात्र जिसे वासंतिक नवरात्र या (चैत नवरात्र) कहते हैं। इसका शुभारम्भ इस दो अप्रैल शनिवार से हो रहा है। वैश्विक महामारी कोरोना काल में करीब दो साल अव्यवस्था के बीच नवरात्र बनाने के बाद देवी भक्तों को इस साल नवरात्र को लेकर भक्तों में खासा उत्साह है। नवरात्र की तैयारियां विभिन्न देवी मंदिरों पर तेजी से चल रहा है। मंदिरों को रंग-रोगन कर अंतिम रूप दिए जाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। जिले के पश्चिम छोर पर स्थित मंगला भवानी मंदिर का रंग-रोगन का कार्य बुधवार को पूरे दिन चलता रहा।
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 1 अप्रैल सुबह 11:53 मिनट पर
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 2 अप्रैल सुबह 11:58 मिनट पर
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त- 2 अप्रैल सुबह 6:10 मिनट से 8:31 मिनट तक
नवरात्रि में होगी मां दुर्गा के इन रूपों की पूजा
पहले दिन- मां शैलपुत्री
नवरात्रि की शुरुआत मां शैलपुत्री के पूजन से होती है. ये राजा हिमालय यानी शैल की पुत्री हैं और इसी कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।
दूसरे दिन- मां ब्रम्हाचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी अर्थात् तप का आचरण करने वाली. मां ब्रम्हाचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इसलिए इन्हें ब्रम्हाचारिणी कहा जाता है।
तीसरे दिन- मां चंद्रघंटा
ऐसा माना जाता है कि मां चंद्रघंटा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियां हैं। इनके मस्तक पर अर्द्ध चंद्र सुशोभित है, इसी वजह से ये चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।
चौथे दिन- मां कुष्मांडा
नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है। इस दिन विधान के साथ इनका पूजन किया जाता है। इनकी मंद हंसी से ब्रम्ह्मांड का निर्माण होने के कारण इनका नाम कुष्मांडा पड़ा।
पांचवें दिन- मां स्कंदमाता
बता दें कि नवरात्रि के पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है। इन्होंने अपनी गोद में कुमार कार्तिकेय को लिया हुआ है और कार्तिकेय का नाम स्कंद है। बस, इसी वजह से इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।
छठे दिन- मां कात्यायनी
कात्यायन ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां कात्यायनी ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया था. इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा जाने लगा।
सातवें दिन- कालरात्रि माता
नवरात्रि का सांतवा दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। देखने में प्रचंड स्वरूप, मां अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं इसलिए इन्हें शुभड्करी भी कहा जाता है।
आठवें दिन- महागौरी माता
नवरात्रि के आठवें दिन दुर्गा अष्टमी होती है और इस दिन मां महागौरी का पूजन किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए इन्होंने कठिन तपस्या की थी। इस वजह से इनका शरीर काला पड़ गया था. शिव जी ने प्रसन्न होकर इन्हें गौरवर्ण प्रदान किया इसलिए ये महागौरी कहलाई।
नौवें दिन- मां सिद्धिरात्रि
भक्तों को सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली मां को सिद्धिरात्री के नाम से जाना जाता है और नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिरात्रि की पूजा की जाती है।