वाराणसी। होलिका दहन से आठ दिन पूर्व होलाष्टक लगता है। इस वर्ष होलाष्टक 10 मार्च गुरुवार से प्रारंभ होगा और 18 मार्च को होलिका दहन के साथ ही समाप्त हो जाएगा। इन आठ दिनों तक सभी शुभ कार्य वर्जित माने जातें हैं। इसमें विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। आठ दिनों तक के इस समय को ही होलाष्टक कहा जाता है।
होलाष्टक की समयावधि।
होलाष्टक 10 मार्च 2022, गुरुवार से लेकर 17 मार्च 2022, गुरुवार तक रहेगा। मान्यता है कि इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करना अपशकुन होता है। होलाष्टक से होली और होलिका दहन की तैयारी शुरु हो जाती है।
होलाष्टक की अवधि होती है अशुभ।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति होलाष्टक के दौरान मांगलिक कार्य करता है तो उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं व्यक्ति के जीवन में कलह और अकाल मृत्यु का भय रहता है। होलाष्टक की अवधि को शुभ नहीं माना जाता है।
इसलिए नहीं होते मांगलिक कार्य।
ज्योतिष के अनुसार, होलाष्ठक के दिनों में शुभ कार्य प्रतिबंधित माने गए हैं। ऐसा भी माना जाता है कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव की तपस्या भंग करने का प्रयास करने पर भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। कामदेव क्योंकि प्रेम के देवता माने जाते थे, जिससे तीनों लोक में शोक छा गया। उनकी पत्नी रति ने तब भगवान शिव से क्षमा मांगी, जिसके बाद शिवजी ने कामदेव को पुर्नजीवित करने का आश्वासन दिया था।