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लंग अटैक व गंभीर श्वांस रोगियों की बढ़ती संख्या पर देश प्रदेश के विशेषज्ञों ने रेस्पिरेटरी कानक्लेव कांफ्रेंस 2022 को काशी में किया मंथन

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Posted On:Monday, July 25, 2022





वाराणसी। ब्रेथ ईजी चेस्ट फाउंडेशन फॉर ह्यूमैनिटी, ब्रेथ ईजी टी.बी, चेस्ट, एलर्जी केयर अस्पताल (अस्सी, वाराणसी) एवं आई.एम्.ए (वाराणसी चैप्टर) के संयुक्त तत्वाधान से 24  जुलाई 2022 (रविवार) को होटल रेडिसन, वाराणसी में एक चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमे विश्व विख्यात चिकित्सकों ने वर्तमान स्थिति के सबसे गंभीर व महत्वपूर्ण विषय  को चुनते हुए लंग अटैक (गंभीर  श्वांस की बीमारी) पर परिचर्चा की I इस चिकित्सकीय कार्यक्रम का उदघाटन मुख्य अतिथि आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री डा. दयाशंकर मिश्र दयालु, डॉ. संदीप चौधरी (मुख्य चिकित्सा अधिकारी, वाराणसी), डॉ कार्तिकेय सिंह (अध्यक्ष, आई.एम्.ए , वाराणसी) , रेस्पिरेटरी कॉन्क्लेव कांफ्रेंस २०२२ के ओर्गानिज़िंग सेक्रेटरी डॉ एस.के पाठक एवं ओर्गानिज़िंग सेक्रेटरी डॉ राजेंद्र प्रसाद ने संयुक्त रूप ने दीप प्रज्वलित करके किया I   तदोपरांत अतिथियों ने ब्रेथ ईजी द्वारा प्रकाशित बी.ई टाइम्स पत्रिका का विमोचन किया I मुख्य अतिथि डॉ दयाशंकर मिश्र जी ने काशी की जनता को आगाह किया कि लंग अटैक से बचने के लिए विशेषज्ञ से परामर्श एवं इलाज कराये एवं विशेषज्ञों से अनुरोध किया कि कम खर्चों में मरीजों को बेहतर ईलाज प्रदान कराए I 
इस चिकित्सकीय कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत बी.सी रॉय अवार्ड - डॉ राजेंद्र प्रसाद (प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष – एरा मेडिकल कॉलेज) के साथ-साथ देश के अलग अलग हिस्से से जैसे डॉ राहुल चंदोला (मैक्स हॉस्पिटल, दिल्ली), डॉ. राजाधर (सी.एम्.आर.आई हॉस्पिटल, कोलकता),  डॉ. ए.के पाण्डेय (गैलेक्सी हॉस्पिटल, वाराणसी), डॉ. आर.के सिंह (एस.जी.पी.जी.आई, लखनऊ), डॉ.एस.के पाठक (बेथ ईजी, वाराणसी), पद्मश्री डॉ. के.के त्रिपाठी (आई.एम्.एस, बी.एच.यू), डॉ. जे.के मिश्रा (एच.ओ.डी, चेस्ट डिप्ट., बी.एच.यू), एवं डॉ. धीरज किशोर (यच.ओ.डी – मेडिसिन डिप्ट., बी.एच.यू),से जुड़े एवं परिचर्चा की  I 
रेस्पिरेटरी कानक्लेव कांफ्रेंस 2022 के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेट्ररी व् वरिष्ठ श्वांस एवं टी.बी रोग विशेषज्ञ डॉ. एस.के पाठक ने बताया कि - ब्रेथ ईजी के प्रयास से भारत में आठवी बार इस चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा हैं, परन्तु पिछले दो वर्षो में लॉकडाउन की वजह से ये कार्यक्रम वर्चुअल किया गया I इस चिकित्सकीय संगोष्ठी का उद्देश्य चिकित्सको को गंभीर श्वांस बीमारी के प्रति नयी पद्दिती की जानकारी के बारे में अवगत कराना हैं, जिससे मरीजों को श्वांस जैसी गंभीर बिमारियों से कम समय तथा कम खर्च में आसानी से ईलाज मिल सके I डॉ पाठक ने लंग अटैक के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी और इससे बचने के विषय में भी प्रकाश डाला I  

डॉ राहुल चंदोला (मैक्स हॉस्पिटल, दिल्ली) ने फेफड़ों की अंतिम अवस्था के देखभाल के बारे में बताया और विषम समय में लंग ट्रांसप्लांट करने के बारे में जानकारी दी I डॉ चंदोला ने आगे  बताया – लंग अटैक की समस्या फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारियों के कारण होती है। इस बीमारी में फेफड़ों से हवा का प्रवाह बाधित होता है जिसकी वजह से फेफड़ों को नुकसान होता है और मरीज को सांस लेने में गंभीर कठिनाई का सामना करना पड़ता है। फेफड़ों के खराब होने के अंतिम अवस्था में मरीजों के फेफड़े बदलने की व्यवस्था अब भारत में उपलब्ध हैं ।
डॉ. आर.के सिंह (एस.जी.पी.जी.आई, लखनऊ) ने लंग अटैक को आई.सी.यू में कैसे देखभाल करे उसके बारे में जानकारी दी I डॉ सिंह ने आगे बताया – “लंग अटैक की समस्या सबसे ज्यादा सांस से जुडी गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों में होती है। यह समस्या 20 से 30 प्रतिशत पुराने धूम्रपान करने वालों में भी होती है, लंबे समय तक धूम्रपान करना इसके जोखिम को और बढ़ा देता है। एक आंकड़े के मुताबिक लंग अटैक की समस्या 90 प्रतिशत ऐसे लोगों में हो सकती है जो अत्यधिक सिगरेट पीते हैं। लंग अटैक के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं : अल्फा -1 एंटीट्रिप्सिन (एएटी) की कमी, आनुवांशिक कारणों से, सिगरेट पीने की वजह से,  वायु प्रदूषण, धूल और धुएं के संपर्क में आने की वजह से, धूम्रपान एवं सांस से जुडी गंभीर बीमारियां ।
डॉ. ए.के पाण्डेय (गैलेक्सी हॉस्पिटल, वाराणसी) ने लंग अटैक के साथ साथ होने वाले हार्ट अटैक के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी I डॉ पाण्डेय ने बताया – “सीने में दर्द की वजह सिर्फ हार्ट अटैक ही नहीं, बल्कि कई दूसरे कारण भी हो सकते हैं, कोरोना संक्रमित मरीजों को फेफड़ों में इंफेक्शन या ज्यादा खांसी की वजह से भी दर्द हो सकता है I पल्मोनरी एम्बोलिज्म होने पर भी चेस्ट पेन हो सकता है, यह एक हार्ट प्रोबलम है जिसमें फेफड़ों तक खून को ले जानी वाली ब्लड वैसेल्स में क्लॉटिंग हो जाती है, जिससे फेफड़ों में सही से खून नहीं पहुंचता और सीने या छाती में दर्द महसूस हो सकता है I” डॉ पाण्डेय ने बताया – “अगर सीने में किसी भी तरह का दर्द महसूस हो रहा है तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, चेस्ट पेन में सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है, इसलिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उन्हें अपनी पूरी स्थिति बताएं I
डॉ. राजेंद्र प्रसाद  (प्रो. एवं विभागाध्यक्ष – एरा मेडिकल कॉलेज) ने चेस्ट सम्बंधित कुछ चुनिन्दा केस के बारे में चिकित्सको को जानकारी दी I डॉ प्रसाद ने आगे बताया कि  “इस चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन, ब्रेथ ईजी के प्रयास से एक सराहनीय कार्य हैं I यह चिकित्सीय संगोष्ठी पूर्वांचल के चिकित्सको को गंभीर श्वांस के बीमारी के प्रति अपडेट करने में सहायक होगी I  विगत कुछ वर्षो में ब्रेथ ईजी व डॉ. एस.के पाठक का चिकित्सीय क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु भारत सरकार के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की मुलाकात एक गौरवपूर्ण बात हैं I इसके अलावा डॉ. राजेंद्र प्रसाद  चेस्ट मेडिसिन के कुछ गोल्डन पॉइंट्स को नए चिकित्सको के सामने विश्लेषण किया और बताया सही समय में सही ईलाज से मरीजों का भला हो सकता हैं जिससे मरीज को कोल्लेप्स होने से बचाया जा सकता हैं I 
कार्यक्रम के अंत में रेस्पिरेटरी कॉन्क्लेव कांफ्रेंस 2022  के ओर्गैनिज़िंग सेक्रेटरी डॉ. एस.के पाठक ने सभी फैकल्टी को स्मृतिचिन्ह एवं अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया और ऑनलाइन के मध्यम से जुड़े हुए सभी मेडिकल एवं नॉन मेडिकल लोगो को जुड़ने के लिए धन्यवाद किया और बताया –“लॉक डाउन होना निष्क्रिय होना नही है, हमे हर तरफ मौको को तलाशते रहना चाहिए I Social Distancing  का पालन करते हुए इस कार्यक्रम को ओर्गानिज़ करना मेरे लिए व मेरे टीम मेम्बेर्स के लिए बड़ी गर्व की बात है I आशा करता हूँ भविष्य में भी हमेशा कुछ नया  करता रहूँगा जिससे हम सभी का ज्यादा से ज्यादा भला हो सके। 


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