वाराणसी। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी काशी में सैकड़ों वर्षो पुरानी परंपरा का निर्वहन किया गया, बसंत पंचमी के पावन पर्व पर महादेव का तिलकोत्सव हुआ। इस दौरान बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत प्रतिमा को स्वदेशी खादी परिधान धारण किए दूल्हे के रूप में तैयार किया गया। बाबा का तिलकोत्सव विश्वनाथ गली में टेढीनीम महंत आवास पर हुआ। तिलकोत्सव के दौरान महिलाएं मंगल गीत गा रही थी, परंपरागत सलीके से शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरुओं के निनाद पर हर एक रस्मों को पूरा किया गया।
गुरुवार को शाम 7 बजे लग्न के अनुसार, बाबा के तिलक की रस्में पूरी की गई। गुरुवार को भोर में 4 बजे मंगला आरती के बाद तिलकोत्सव शुरु हुआ। मंगला आरती से पूर्व महादेव की पंचबदन रजत प्रतिमा को स्नान करवाया गया। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि अनुसार, शिवमहापुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण और स्कंधपुराण के प्रसंगों के आधार पर ही तिलकोत्सव मनाया गया।