वाराणसी, लोकल न्यूज़ डेक्स । उदय प्रताप स्वायत्तशासी महाविद्यालय,वाराणसी के भौतिकी विभाग एवं डीबीटी स्टार कॉलेज स्कीम के संयुक्त तत्वाधान में 2 दिवसीय "नेशनल सिंपोजियम ऑन लेजर इन बायोलॉजी, मेडिकल साइंस, एटमॉस्फेरिक साइंस और क्लाइमेट एंड क्लाइमेट चेंज" विषय पर आयोजित किया गया। सिंपोजियम में मुख्य अतिथि के रूप में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रोफेसर ए.के. त्यागी जी ने इलेक्ट्रो-सेरामिक मैटेरियल बनाने के नई-नई तकनीकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आज लेजर का उपयोग विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है। चिकित्सा विज्ञान में लेजर का उपयोग करके जटिल से जटिल ऑपरेशन आसानी से किए जा रहे हैं और इनके द्वारा किए जाने वाले ऑपरेशन में जीव को ज्यादा तकलीफ नहीं होती है। वर्तमान समय में आधुनिक संचार माध्यम में लेजर का बहुत्यत उपयोग किया जा रहा है। लेजर के उपयोग से अधिक से अधिक सूचनाएं एक साथ भेजी जा सकती है। वाटर फाउंटेन में एवं विभिन्न बड़े बड़े पार्कों में लेजर का उपयोग कर के कार्यक्रम को अति मनोरंजक बनाया जा रहा7 है। लेजर का दैनिक जीवन में उपयोग पे भी विस्तार से प्रकाश डाला।
द्वितीय सत्र में प्रोफेसर ए.के. राय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, ने बताया कि दैनिक जीवन में होने वाली सभी घटनाओं को भौतिक विज्ञान के सिद्धांतो का उपयोग कर के आसानी से समझाया जा सकता है। इन्होंने बताया कि यदि कोई मनुष्य ऐसा भोजन करे जिसमें मैग्नेशियम, कैल्शियम, सोडियम प्रचुर मात्रा में हो तो मानव अंगों में स्टोन बनने की संभावना काफी कम हो जाती है। इन्होंने लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपि के बारे में भी बताया।भौतिकी विभाग, बी.एच.यू, के रंजन कुमार सिंह ने रमन स्पेक्ट्रोस्कोपि में लेजर के उपयोग पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि मेडिकल एवं उपचार में लेजर का प्रयोग कैसे हो सकता है। विदित हो कि रमन प्रभाव कि खोज को याद में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाया जाता है।
आई.आई.टी बी.एच.यू के प्रोफेसर पी.सी. पांडे ने "नॉवेल क्रिस्टल फाइबर फोर सेंसिंग एप्लीकेशंस" विषय पर विस्तार से चर्चा की और विशेष प्रकार के फोटोनिक फाइबर बनाया जा रहा है अलग टाइप जो बेहतर तरीके से विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग हो रहा है।डॉक्टर आशीष कुमार मिश्रा, आई.आई.टी बी.एच.यू ने "इंपोर्टेंट टूल फोर एन्वारनमेंटल रिमेडिएशन " विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि जल में मिले हुए अशुद्धियों के बारे में पता लगाने के लिए लेजर का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है।आई.आई.टी बी.एच.यू के डॉक्टर सुनील कुमार मिश्रा ने लेजर स्पेक्ट्रोस्कोपि फोर बायोलॉजिकल एप्लीकेशंस पे अपना व्याख्यान दिया।
विभागाध्यक्ष डॉ विपिन बहादुर सिंह ने सिंपोजियम के विषय स्थापना कि और बताया कि किस प्रकार लेजर का उपयोग उद्योग जगत, रक्षा विज्ञान, मेडिकल और तमाम वैज्ञानिक शोध में किया का रहा है।
महाविद्यालय के प्राचर्य डॉ धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम से विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को विज्ञान की नई नई तकनीक के बारे में जानकारी मिलती है और शोध के प्रति रुचि पैदा होती है।
संयोजक डॉ शशिकांत द्विवेदी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ देवेंद्र कुमार सिंह एवं संचालन डॉ अनीता सिंह ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ दयानंद साहा, डॉ टि.के श्रीवास्तव, डॉ पिंटू कुमार यादव, डॉ तुमुल सिंह, डॉ सुधीर कुमार शाही, डॉ दिवाकर सिंह, डॉ एन.पी सिंह, डॉ एम. के त्रिपाठी, डॉ प्रदीप कुमार सिंह एवं सैकड़ों छात्र एवं शिक्षक उपस्थित रहे।