वाराणसी। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे "मिशन शक्ति" अभियान के अंतर्गत प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरात्तत्व विभाग द्वारा गाँधी जयंती के उपलक्ष्य में "वीमेन एम्पावरमेंट: अ महात्मा विज़न" विषय पर 2 अक्टूबर 2021 को अन्तराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता के रूप में यू. एस. ए. से डॉ0 संगीता मलिक पूर्व निदेशक गाँधी संग्रहालय राजघाट, नई दिल्ली ने कहा कि जहाँ तक हिंदू समाज में महिलाओं की स्थिति का प्रश्न है, गांधीजी ने जो दृष्टि बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध्द में न केवल अपने भीतर विकसित की, बल्कि उसे अपने आचरण में भी उतारा, वह इक्कीसवीं शताब्दी के इस चरण में भी काफी क्रांतिकारी लग सकती है। विभिन्न आंदोलनों में औरतों को शरीक करने के साथ-साथ उनके सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक और राजनीतिक उत्थान के कार्यक्रम भी चलाए। उल्लेखनीय बात यह है कि नारी-मुक्ति का शोर मचाने की बजाय उन्होंने महिलाओं को एकदम सहज ढंग से स्वतंत्रता आंदोलन का अभिन्न अंग बनाया।
गांधी जी महिलाओं को मानते थें पुरुषों के मुकाबले अधिक सुदृढ़:-
मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. गीता सहारे, राजनीति शास्त्र विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय ने उल्लेख किया कि महिलाओं के प्रति गांधीजी के सकारात्मक दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वे महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले अधिक सुदृढ़ और सहृदय मानते थे। वे नारी को अबला कहने के भी सख्त खिलाफ थे। इस संदर्भ में महात्मा गांधी का कहना था कि ”उन्हें अबला पुकारना महिलाओं की आंतरिक शक्ति को दुत्कारना है।उनका कहना था कि महिलाओं को अपने अधिकारों और कर्तव्यों का ज्ञान होना चाहिए। गांधीजी बराबर कहते रहे कि महिलाओं को सशक्त बनना है तो इसकी पहल परिवार से ही करनी होगी। गलत बातों को वह जब तक सहेगी उसके साथ जुल्म होता रहेगा। डॉ नम्रता कुमारी, असिस्टेंट प्रोफेसर, एस0के0एस महिला महाविद्यालय, मोतिहारी, बिहार ने चंपारण क्षेत्र में नारी शशक्तिकरण में कस्तूरबा गाँधी के योगदान का उल्लेख किया।
महिलाओं के आर्थिक शशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका कुटीर उद्योग ने:-
स्नेहलता जी, वरिष्ठ लेख अधिकारी लखनऊ, ने कहा कि कुटीर उद्योगों का महिलाओ के आर्थिक शशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की भावनात्मक स्तर पर सम्मान और समानता के समर्थन-भर से महिलाओं को समाज में वास्तविक बराबरी नहीं दिलाई जा सकती। इस संबंध में गांधीजी का स्पष्ट मत था कि औरतों का शैक्षिक स्तर सुधारकर उन्हें आर्थिक रूप में आत्मनिर्भर बनाना बहुत जरूरी है। उस दौर में ही गांधीजी ने महिला समानता के लिए आर्थिक स्वावलंबन की आवश्यकता को पहचान लिया था। उनके खादी आंदोलन का एक उद्देश्य स्वदेशी की भावना को उजागर करना और दूसरा उद्देश्य देश की गरीब जनता, विशेषकर महिलाओं को, जो कि सामाजिक बंधनों के कारण घर से बाहर जाकर काम-धंधे नहीं कर पाती थीं, उन्हें घर पर चरखा या तकली चलाकर कुछ धन अर्जित करने का साधन उपलब्ध कराना था।
खादी ने दिलाया महिलाओं को रोजगार:-
खादी उद्योग के माध्यम से गांवों, कस्बों व शहरों की लाखों निर्धन महिलाओं को देशभक्ति की अनुभूति के साथ-साथ रोजगार भी मिला । इसके साथ ही प्रातः कालीन सत्र में विभाग द्वारा एन.एस.एस यूनिट के साथ "महिला स्वास्थ्य एवं स्वच्छता" विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान एवं चर्चा के माध्यम से विशेष जागरूकता कार्यक्रम एवं परामर्श सत्र का आयोजन किया गया।मुख्य वक्ता एवं सलाहकार के रूप में श्रीमती रेखा मधुकर, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, सैदपुर, गाजीपुर ऑनलाइन उपस्थित रही।इन्होंने महिला स्वास्थ्य के साथ ही किशोरावस्था की समस्याओं की विस्तार से चर्चा की।
महिलाओं के स्वास्थ्य व सुरक्षा को जागरूक है सरकार:-
सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी छात्राओं से सांझा की। ग्रामीण और शहरी स्तर पर आशा, आगनबाड़ी आदि के द्वारा उपलब्ध सेवाओं को विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा समय समय पर महिला और बालिका स्वास्थ्य एवं पोषण के लिए अभियान चलाये जा रहे है जैसे एनीमिया मुक्त भारत ,कृमि की दवा का वितरण सरकारी स्कूलों एवं कॉलेजो में किया जाता है। किन्तु बहुत बार ऐसा होता है कि जब इन मुफ्त में मिलने वाली दवाओं को हम फेक देते है जबकि वास्तव में सरकार द्वारा दी जा रही यर दवाये स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।तो सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए उन पर विश्वास भी होना आवश्यक है। कॉलेज में छात्राओं के लिए नियमित योग सत्रों का आयोजन किया जा रहा है इस पर उन्होंने छात्राओं को प्रेरित करते हुए प्रतिदिन व्यायाम और योग अभ्यास पर बल दिया l महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 रचना दूबे ने अतिथियों का स्वागत करते हुए नारी सुरक्षा और मिशन शक्ति के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
महाविद्यालय के प्रबंधक डॉ षधिकान्त दीक्षित ने आर्शीवचन देते हुए मिशन शक्ति के उद्देश्यों को और उस दृष्टि से महात्मा गांधी की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। विषय प्रवर्तन और मुख्य वक्ता का परिचय डॉ सरोज रानी एवं कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन मिशन शक्ति , आर्य महिला पी जी कालेज की समन्वयक डा0 सुनीता यादव ने किया। कार्यक्रम में डॉ अनीता सिंह एवं डॉ गरिमा गुप्ता, कार्यक्रम अधिकारी एन.एस.एस का विशेष सहयोग रहा। आज के सत्र में डॉ अफजल हुसैन, डॉ जयंत, डॉ अमित दूबे,डॉ रविशंकर,डॉ रश्मि सिंह और लगभग 250 छात्राओं ने प्रतिभाग किया ।