वाराणसी। हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापाकुंशा एकादशी व्रत रखा जाता है जो कि आज 16 अक्टूबर दिन शनिवार को है। एकादशी व्रत सभी कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इसलिए एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि पापाकुंशा एकादशी व्रत से व्रती के कई पीढ़ियों तक के पाप नष्ट हो जाते हैं।
पापाकुंशा एकादशी व्रत पूजन विधि :
पापाकुंशा एकादशी के दिन व्रती प्रातः काल सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत हो लें। उसके बाद भगवान विष्णु के समक्ष हाथ में फूल और अक्षत लेकर व्रत और पूजन का संकल्प लें। अब इसे भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित कर दें। अब धूप दीप अगरवत्ती जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करें। उसके बाद उनकी आरती करके हाथ जोड़कर प्रणाम करें और पूजा समाप्त करें। इसके बाद पूरे दिन फलाहारी व्रत रखें। अगले दिन पारण करें।
पापाकुंशा एकादशी व्रत पूजन सामग्रीः
श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति, पुष्प, नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, दीप, घी, पंचामृत, अक्षत, तुलसी दल, चंदन, मिष्ठान।
पापाकुंशा एकादशी व्रत पारण समय :
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:42 से प्रातः 05:32
अभिजित मुहूर्त- प्रातः11:43 से सायं 12:29
विजय मुहूर्त- सायं 02:01 से सायं 02:47
गोधूलि मुहूर्त- सायं 05:39 म से सायं 06:03
रवि योग- प्रातः 06:22 से प्रातः 09:22
पापांकुशा एकादशी महत्व :
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पापांकुशा एकादशी व्रत का पालन करने से यमलोक में यातनाएं नहीं सहनी पड़ती हैं। इस पुण्य व्रत के प्रभाव से लोगों के कई पीढ़ियों के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
रिपोर्ट: कृति यादव