वाराणसी। संत रविदास जयंती इस वर्ष 16 फरवरी को मनाया जाएगा। इसको लेकर धीरे-धीरे तैयारियां शुरु कर दी गई हैं। खाली पड़े स्थानों पर पंडाल बनाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। रविदास जयंती के एक सप्ताह पहले सिरगोवर्धन क्षेत्र बेगमपुर में तब्दील हो जाता है। कोरोना को देखते हुए रैदासियों को लेकर बनारस पहुंचने वाली विशेष ट्रेन पिछले दो वर्षों से रद्द कर दी गई थी। पिछले वर्ष डेरा सच्चखंड बल्लां के गद्दीशीन संत निरंजनदास पहली बार फ्लाइट से बनारस पहुंचे थे।
मंदिर के ट्रस्टी के. एल. सरोये ने बताया कि अनुयायियों के लिए रहने, खाने सहित अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए मंदिर प्रबंधन जुटा हुआ है। इस वर्ष भी कोविड़ गाइडलाइन का पालन करते हुए ही कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। ट्रस्टी सरोये ने बताया कि दो गज के गाइडलाइन का पालन करने के लिए इस बर्ष पंडाल की संख्या बढ़ाई जाएगी। प्रशासन के साथ बैठक हुई है। जहाँ रैदासी ठहरेंगे उस स्थान या यूं कहें मंदिर के चारों ओर फॉगिंग और सेनेटाइजेशन किया जाएगा।
मन्दिर के ट्रस्टी सरोये ने बताया कि इस वर्ष किसी भी बड़े राजनेताओं को मंदिर की ओर से आमंत्रण नहीं भेजा जाएगा, मगर कोई आएगा तो उसका हम स्वागत भी करेंगे, यह संत गुरु रविदास का दरबार है। यहाँ आने पर किसी को भी रोका नहीं जाता। हर वर्ष कोई न कोई बड़ा राजनेता इस दरबार में आता ही है, श्रद्धालुओं को गुरु पर्व की हर बर्ष बेसब्री से इंतजार रहता है।
मनरेगा की सड़क भी बनकर तैयार
बरसात के कारण पंडाल की तरफ जाने वाले मार्ग पर कीचड़ की समस्या को देखते हुए मंदिर प्रबंधन की तरफ से मांग की गई थी कि मनरेगा वाली सड़क को पक्का कर दिया जाय।एडीएम सिटी ने निरीक्षण के बाद 265 मीटर सड़क पर ब्रिक्स लगाने के आदेश दिए।पंडाल तक सड़क भी बनकर तैयार हो गई।बरसात के बाद भी अब श्रद्धालुओं को आने जाने की समस्या नहीं होगी और न ही संत निरंजन दास का काफिला जाने में दिक्कत होगी।