वाराणसी। बुधवार,16 फरवरी को माह मास की अंतिम पूर्णिमा है फिर इसके बाद फाल्गुन का महीना आरंभ हो जाएगा। इस पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसी तिथि पर संत रविदास का जन्म हुआ था इस कारण से माघी पूर्णिमा विशेष महत्व है।
माघी पूर्णिमा के ही दिन संत रविदासजी की जयंती मनाई जाती है। इस तिथि पर संत रविदास जी की पूजा अर्चना, शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं और भजन कीर्तन कर संत रविदास को याद किया जाता है। रविदास जी को रैदास जी के नाम से भी जाना जाता है। संत रविदास का ' मन चंगा तो कठौती में गंगा' बहुत ही लोकप्रिय कहावत है। इसका अर्थ है अगर मन अच्छा और सकारात्मक है तो कठौती में ही गंगा जी अवतरित हो जाती है। संत रविदास जी हमेशा लोगों के उत्थान और भलाई के लिए संदेश देते रहे।
देखने को मिलती है मिनी पंजाब का झलक।
रविदास मंदिर के प्रबंधक रणवीर सिंह बताते हैं कि संत शिरोमणि रविदास की 645वीं जयंती इस वर्ष 16 फरवरी को काशी नगर के सीरगोवर्धनपुर में मनाई जाएगी। रविदास जी के जन्मोत्सव पर बड़ी संख्या में पंजाब से रैदासियों के साथ ही राजनेता भी पहुंचते हैं। रविदास मंदिर के आसपास का इलाका बेगमपुरा में तब्दील हो जाता है। लोगों की नजर से मिनी पंजाब की झलक यहां देखने को मिलती है। पंजाब से स्पेशल ट्रेन चलती है जिसमें बड़ी संख्या में भक्त वाराणसी के रविदास मंदिर पहुंचते हैं। रविदास जन्मोत्सव की वजह से ही पंजाब चुनाव 14 फरवरी की जगह 20 फरवरी कर दिया गया है। मंदिर आने वाले भक्तों के लिए तैयारी पूरी कर ली गई है। लंगर से लेकर टेंट तक की व्यवस्था कर ली गई है। श्रद्धालुओं के लिए खाने से लेकर रहने तक की व्यवस्था है।