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शनि प्रदोष व्रत : शनि प्रदोष का व्रत रखने से भगवान शिव होंगे खुश, होगी विजय और लक्ष्य की प्राप्ति, जानिए क्या है पूजन विधि।

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Posted On:Saturday, September 4, 2021

वाराणसी। आज शनिवार को भाद्रपद का पहला प्रदोष व्रत है। शनिवार के दिन प्रदोष व्रत आता है तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। 33 करोड़ देवी-देवताओं में सबसे श्रेष्ठ महादेव है और जब बात हो काशी की तो शिव का महत्व तो और भी बढ़ जाता है। आमतौर पर शिव के भक्त प्रदोष व्रत रखते है, जिससे दुखों का नाश होता है और घर में सुख समृद्धि आती है। शास्त्रों में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए अनेकों व्रत का उल्लेख है लेकिन प्रदोष व्रत शंकर जी को प्रसन्न करने का अत्यंत चमत्कारी व्रत है। प्रदोष व्रत रखने से दुख और दरिद्रता का नाश होता है, साथ ही घर में समृद्धि और खुशहाली आती है। सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन को सुख शांति से भरना चाहते हैं तो शिव को समर्पित प्रदोष व्रत से बेहतर और कुछ नहीं। आगे की स्लाइड्स में देखें..

महीने के दोनों पक्षों के 13वीं तिथि को प्रदोष रखा जाता है:

काशी के ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि हर महीने के दोनों पक्षों यानी कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के 13वीं तिथि को प्रदोष बेला होने पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। सूर्यास्त और रात्रि के बीच के समय को ही प्रदोष काल माना जाता है। इस बार यह व्रत 19 जनवरी को रखा जाएगा। पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जनवरी शुक्रवार के दिन रात 8:20 पर लगेगी जो 19 जनवरी शनिवार को शाम 5:35 तक रहेगी।



जानिए क्या है पूजन विधि :
ज्योतिष वेद विमल जैन ने बताया कि व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह उठकर नित्य कर्म करके अपने इष्ट देवता का पूजा पाठ करके दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गंद और कुश लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना। इसके बाद पूरे दिन निराहार व्रत रखना चाहिए। शाम के समय फिर से स्नान करके साफ कपड़े पहन कर प्रदोष काल में भगवान शिव का विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। 

शिव का अभिषेक कर उनका श्रृंगार करने के बाद वस्त्र, आभूषण, सुगंधित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, फूल, नैवेद्य आदि अर्पित करना चाहिए। पूजा के दौरान पूर्व दिशा उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके भक्त अपने माथे पर भस्म और तिलक लगाकर ही शिवजी की पूजा करें। इससे मन प्रफुल्लित और शिव जी की कृपा बनी रहेगी। साथ ही साथ वृत से संबंधित कथाएं सुनने से मनोरथ की पूर्ति होगी व्रत रखने वाले व्यक्ति को दिन के समय सोना नहीं चाहिए। 

इसके अलावा अपने परिवार के अतिरिक्त कहीं भी कुछ ग्रहण नहीं करना चाहिए। इस व्रत को बहुत ही संयमित होकर रखने से ही लाभ मिलता है। व्रत रखने से शनि ग्रह अय्या या साढ़ेसाती के प्रभाव का शमन होता है। भक्तजन अपनी सामर्थ्य के हिसाब से असहायों को दान दे सकते हैं और उनकी सहायता कर सकते हैं।


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