वाराणसी। रक्षा बंधन का पर्व इस साल 22 अगस्त 2021- रविवार को मनाया जाएगा।भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार सनातन धर्म का प्रमुख त्यौहार है जिसे श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। बता दें कि इस बार रक्षा बंधन श्रावण पूर्णिमा पर धनिष्ठ नक्षत्र में मनाया जाएगा। इस वर्ष पूर्णिमा तिथि प्रातःकाल से लेकर शाम 05 बजे तक है तथा राहूकाल शाम 04:30 से प्रारम्भ होगा अतः राखी बाँधने का कार्य शाम 04:30 से पहले ही कर लें अथवा नीचे बताये गए मुहूर्त के अनुसार करें।
जान लें 50 साल बाद बने शुभ मुहूर्त को:-
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, रक्षा बंधन पर इस साल एक महासंयोग भी बनने जा रहा है, जो इस ख़ास पर्व के महत्व को कई गुना बढ़ाने वाला है। राखी पर इस बार भद्रा का साया नहीं रहेगा जिसके कारण बहनें पूरे दिन प्रातःकाल से लेकर शायमकाल तक अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगी। ज्योतिषाचार्य शिवम त्रिपाठी जी के अनुसार ज्योतिषीय दृष्टिकोण से राखी बांधने का शुभ समय प्रातः काल 06:30 से लेकर 07:31 तक स्थिर सिंह लग्न मे राखी बांधने का कार्य किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त प्रातः काल 07:17 से 08:55 तक चल की चैघड़िया व 08:55 से 10:32 तक लाभ की चौघड़िया एवं 10:32 से 12:00 बजे तक अमृत की चैघड़िया रहेंगी अतः इन समयों के अंतर्गत भी राखी बाँधना शुभप्रद रहेगा। अतः यथासंभव प्रयास करके इन उपरोक्त समयों पर ही बहने अपने भाईयों के कलाई पर राखी बाँधकर उनके दीर्घायु व उन्नति की कामना करें।
जरूर अपनाएं इस पूजा विधि को:-
राखी बांधने से पहले बहन और भाई दोनों उपवास रखें। भाई को राखी बांधने से पहले बहन थाली सजाएं। थाली में राखी, रोली, दिया, कुमकुम, अक्षत और मिठाई रखें। राखी बांधते वक्त सबसे पहले भाई को माथे पर तिलक लगाएं। उसके बाद भाई पर अक्षत छीटें। बहनें अपने भाई के दाहिने हाथ पर राखी बांधें। राखी बांधने के बाद बहन भाई की आरती उतारें। फिर भाई को मिठाई खिलाएं। राखी बांधने के उपरांत भाई बहन के पैर छूकर बहन से आशीर्वाद लें एवम सामर्थ्यनुसार उसको उपहार स्वरूप भेंट आदि प्रदान करें।
राखी बांधते वक्त बहनें निम्नलिखित मंत्र का जाप करें।
"ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।"
रिपोर्ट: सुशील पांडेय।