वाराणसी। सिख धर्म के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर साहिब का 401 वाँ प्रकाश उत्सव गुरु पर्व को मनाया गया। इस अवसर पर श्री अखंड पाठ साहिब जी की समाप्ति हुई। साथ ही कीर्तन और दीवान सजा। जिसमें गुरुद्वारा नीचीबाग के हजूरी रागी भाई, रकम सिंह अमृतवाणी कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया।दीवान समाप्ति अरदास प्रसाद उपरांत गुरु का अटूट लंगर चलाया गया।
महेंद्र सिंह ने बताया कि हरि गोविंद सिंह के पुत्र गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म 1621 में हुआ था। हिंदू धर्म की रक्षा के लिए तेग बहादुर जी अपना सिर कटा दिए थे। तेग बहादुर जी की बानी इतनी बैराग मई है कि जिसमें सबको दिलेरी और मानवता के साथ कठोर मन को भी शीतल कर देती है। पीके प्रकाश उत्सव पर अखंड पाठ रखा गया था, जिसकी समाप्ति हुई। हजूरी रागी भाई, रकम सिंह के भजन कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया गया। और जगतार सिंह जी गुरु तेग बहादुर जी के इतिहास को बतलाया।