वाराणसी। शनिवार गोष्ठी साहित्यिक संस्था के बैनर तले होने वाला अनूठा आयोजन महामूर्ख मेला एक अप्रैल को राजेंद्र प्रसाद घाट पर होगा। पिछले 54 सालों से ये परंपरा गंगा किनारे निभाई जा रही है। महामूर्ख मेला में देश भर के साहित्य, कला, संगीत, कवि व शिक्षा जगत के विद्वान जुटेंगे।
इस आयोजन की नींव स्व. धर्मशील चतुर्वेदी, स्व. चकाचक बनारसी और पं. सुदामा तिवारी सांड़ ने रखी थी। शनिवार गोष्ठी साहित्यिक संस्था के बैनर तले होने वाले इस अनूठे आयोजन में गड़बड़ विवाह के अलावा, लोक नृत्य और हास्य कवि सम्मेलन होंगे।
इस अनोखे महामूर्ख मेला में आदमी बकायदा साड़ी पहनकर सोलह शृंगार करके दुल्हन बनता है और औरत सेहरा सजाकर दूल्हा बनती है। काशी के अड़भंगी पुरोहितों द्वारा गड़बड़ मंत्रोच्चार से विवाह कराया जाता है और कुछ ही देर में छुट्टम-छुट्टा हो जाती है।
आयोजन समिति के दमदार बनारसी ने बताया कि इस बार कवि सम्मेलन में प्रयागराज से अमित मिश्रा, राधेश्याम भारती, बनारस के श्यामलाल यादव, सांड़ बनारसी, दमदार बनारसी, प्रशांत सिंह, हरदोई के अजीत शुक्ला, बाराबंकी के प्रमोद पंकज, उन्नाव के धर्मराज उपाध्याय, गाजीपुर के फजीहत गहमरी भाग लेंगे।
आयोजन की तैयारियों में गोष्ठी के अध्यक्ष जगदंबा तुलस्यान, उपाध्यक्ष श्यामलाल यादव व रामेशदत्त पांडेय, सचिव सांड़ बनारसी, नंदकुमार टोपीवाले और दमदार बनारसी आदि जुटे हुए हैं।