वाराणसी । कचहरी स्थित अदालत परिसर एक बार फिर अराजकता के हवाले हुआ। परिसर के अन्दर चौक थाने अदालत में पेश करने के लिए लाये गए आरोपी मनीष नंदन और साकेत नंदन पर हमला किया गया। भीड़ में काली कोट पहने हमलावरों ने मनीष नंदन और साकेत नंदन की ज़बरदस्त पिटाई कर दिया। इस दरमियान चौक थाने पर पोस्टेड सिपाही सुशांत सिंह और कचहरी चौकी इंचार्ज ने अपनी जान पर खेल कर भीड़ द्वारा मार खा रहे आरोपी को भीड़ के चंगुल से बचाया।
यहाँ अगर पुलिस सूत्र से मिली जानकारी को आधार माने तो पुलिस ने अधिवक्ता शिवेंद्र मिश्रा की तहरीर पर 323, 324, 427, 504, 506 तथा 392 में मामला दर्ज किया था। प्रकरण की विवेचना चौकी इंचार्ज ब्रह्मनाल गौरव उपाध्याय को मिली थी। विवेचक गौरव उपाध्याय ने रात भर की विवेचना में यह पा लिया कि लूट की बात झूठी है और लूट नही हुई है। जिसके बाद इस अपराध संख्या 79/22 में 323, 324, 427, 504, 506 में रिमांड बना कर आरोपियों को अदालत में पेश किया जहाँ आरोपियों पर हमला हुआ।
आज हुई घटना के बाद एक बड़ा सवाल कचहरी परिसर में चर्चा के केंद्र में था कि आखिर पुलिस ने इन धाराओं पर रिमांड कैसे बना दिया। कुछ अधिवक्ताओं ने यहाँ तक कहा कि पुलिस ने जल्दबाजी में गम्भीर अपराध की श्रेणी में न आने वाले इन धाराओं में भी रिमांड बना दिया था। चर्चा का केंद्र ये भी था कि आखिर महज़ 24 घंटे के भीतर ही इतनी तीव्र गति से विवेचना कैसे हो गई और गम्भीर धारा इस मामले में हटा दिया गया।
मार खाने वाला भी पक्ष है अधिवक्ता
इस मामले में अधिवक्ता आनंद कुमार वर्मा ने दावा किया कि मार खाने वाले पक्ष में मनीष नंदन मिश्रा भी अधिवक्ता है और उनके पिता भी अधिवक्ता थे। मामले में चौक पुलिस पर गम्भीर आरोप लगाते हुवे उन्होंने कहा कि पुलिस ने इस प्रकरण में जानबूझ कर एकतरफा कार्यवाही किया है। पुलिस ने मामले में निष्पक्षता नही दिखाई है, दोनों पक्षों के तरफ से मुकदमा लिखने के बजाये पुलिस ने एकपक्षीय कार्यवाही किया है।
क्या होगा पुलिस के तरफ से मुकदमा दर्ज
मामले में अब आरोपी पक्ष पीड़ित बन चूका है और पीड़ित पक्ष आरोपी है। आज दोपहर तक जहा अधिवक्ता शिवेंद्र पीड़ित थे, अब इस मामले के बाद से वह खुद आरोपी बन चुके है और और दोपहर तक आरोपी रहे मनीष नंदन मिश्र और साकेत नंदन अब पीड़ित है। आरोप है कि शिवेंद्र मिश्रा और उनके साथियों ने मनीष नंदन और साकेत नंदन पर हमला किया था। इस हमले में मौके पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने अपनी पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया कि हाल ऐसा था कि ज़मीन पर मनीष को गिरा कर हमलावर उसके सीने पर कूदना चाहते थे, जिसके उसके प्राण भी जा सकते थे। मगर सिपाही सुशांत सिंह और कचहरी चौकी इंचार्ज ने मनीष के ऊपर लगभग लेट कर उसको बचाया है।
इस दम्रियान हमलावर सिपाही सुशांत का मोबाइल भी छीन कर लेकर भाग गये। इस पुरे घटनाक्रम में मौके पर मौजूद ब्रह्मनाल चौकी इंचार्ज गौरव उपाध्याय ने अपने साथी पुलिस कर्मियों और मुलजिम को बचाने का कितना प्रयास किया ये बताने की ज़रूरत नही है। मगर अगर पुरे घटनाक्रम को देखे तो इस मामले में एक पक्ष जहा मनीष नंदन पीड़ित है तो पीड़ित पुलिस भी है। पीड़ित पक्ष सिपाही सुशांत भी है जिसके मोबाइल की छिनैती हुई है और मिलने की संभावना शुन्य समझ आ रही है। वही पुलिस सूत्रों की माने तो सुशांत सिंह के मोबाइल की कीमत 30 हजार रुपया थी। उसने अपने शौक के लिए अपनी तनख्वाह में से तिनका तिनका जुटा कर ये मोबाइल खरीदा था जिसको हमलावर छीन ले गए है। अब देखना होगा कि क्या चौक पुलिस के तरफ से भी कैंट थाने में घटना के सम्बन्ध में मुकदमा दर्ज होता है अथवा नही। समाचार लिखे जाने तक वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारी इस मामले में चिंतन मनन कर रहे है।