वाराणसी। अध्यात्म का केंद्र माने जाने वाले काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारी निःशुल्क शास्त्री के नाम से जानें जाने वाले पुजारियों पर भ्रष्टाचार और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया है। इसके साथ ही 10 पुजारियों के पूजा करने पर रोक लगा दी गई है। जांच के बाद शिकायत सही पाए जाने पर मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने सभी के पास निरस्त करते हुए मंदिर परिसर में उनके पूजा पाठ करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके अलावा दो शास्त्रियों और मंदिर के एक सहायक पीआरओ को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
क्या है पूरा मामला।
जिन निःशुल्क शास्त्रियों पर कार्यवाही की गई है इन सब को हेल्पडेस्क की ओर से रखा गया था। टिकट खरीद कर सुगम दर्शन करने वालों को दर्शन पूजन में किसी प्रकार की असुविधा ना हो सके इसके लिए इनकी तैनाती की गई थी। पर इधर इनकी शिकायत मिलने लगी थी। इन पर आरोप लग रहे थे कि भक्तों को मंदिर के अंदर ले जाने के बाद निःशुल्क शास्त्री जबरदस्ती रस्म अदा करते थे। मंडलायुक्त ने जांच की तौर पर पाया की हेल्प डेस्क की ओर से रखे गए निःशुल्क शास्त्री दर्शनार्थियों को निर्धारित शुल्क से अतिरिक्त पैसों की मांग करते थें। इसके अलावा मंदिर के कर्मचारियों के भी श्रद्धालुओं से दूर व्यवहार करने की शिकायतें प्राप्त हुई थीं।
आरोप सही पाए जाने के बाद 10 निःशुल्क शास्त्रियों पर कार्रवाई की गई कमिश्नर ने कहा है कि मंदिर की मर्यादा के अनुरूप काम ना करने वाले और छवि खराब करने वाले कर्मचारियों और निःशुल्क शास्त्री की मंदिर में कोई जगह नहीं है। उन्होंने सभी को चेतावनी भी दी है कि किसी की शिकायत मिलने पर उसके खिलाफ कार्यवाही करने में तनिक भी देर नहीं लगेगी।
आपको बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों को सुगम दर्शन की व्यवस्था है। इसके लिए ₹300 का शुल्क देकर रसीद कटवानी पड़ती है। इन भक्तों को सुगम दर्शन की व्यवस्था के लिए निःशुल्क शास्त्रीय तैनात हैं। जो इनकी मदद करते हैं। इसके लिए उन्हें ₹30 का भुगतान भी किया जाता है। आरोप मिलने के बाद मंडलायुक्त ने पुजारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की और दूसरों के लिए चेतावनी भी जारी की।