वाराणसी ,लोकल न्यूज़ डेक्स । देशभर में इन दिनों विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' सुर्खियों में है. इस फिल्म को जहां दर्शकों का खूब रिस्पांस मिल रहा है।
आपने ‘द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files)’ फिल्म अगर देखी है तो जरा इसे बनाने के पीछे लगी मेहनत और की गई रिसर्च को भी समझ लीजिए। फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री, अभिनेता अनुपम खेर, अभिनेत्री पल्लवी जोशी, निर्माता अभिषेक अग्रवाल और ‘ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा’ के अध्यक्ष सुरिंदर कौल की मौजूदगी में नई दिल्ली में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में फिल्म के पीछे की मेहनत और रिसर्च को एक डॉक्यूमेंट्री के रूप में पेश किया गया।
इसमें बताया गया है कि तमाम तमाम फतवों के बावजूद कैसे इस फिल्म के निर्माण को पूरा किया गया। निर्देशक विवेक अग्निहोत्री का कहना है कि जब कश्मीर में पंडितों के नरसंहार से जुड़ी मानवीय कहानियों से उनका परिचय हुआ, तब जाकर उन्होंने इस विषय पर फिल्म बनाने का निर्णय लिया।
आपको बता दे ‘कश्मीर’ नाम इतना प्राचीन है कि महाभारत के समय में भी इसका उल्लेख मिलता है।1100-1200 ईस्वी तक वहाँ केवल हिन्दू ही रहा करते थे। भारत के सबसे बड़े साम्राज्यों में से एक ललितादित्य का शासनकाल था, जब भारत के अधिकतर हिस्सा उनके अंतर्गत आता था कश्मीर के शाही राजा लोग हिन्दू थे, जिन्होंने अफगानिस्तान में शासन किया।
700 पीड़ितों से विवेक अग्निहोत्री ने बातचीत की। वो खुद कार ड्राइव कर-कर के वहाँ पहुँचे और उनसे बातचीत की। पीड़ितों ने बताया कि कैसे मस्जिद में नमाज के बाद मुस्लिम भीड़ उग्र हो जाती थी। मुस्लिम लड़कों के दिमाग में हिन्दू घृणा भरी जाती थी। वो दाढ़ी बढ़ाने लगे। एक महिला ने बताया कि ये कश्मीरी लड़के भगवान शिव की प्रतिमा पर पेशाब कर देते थे।
मस्जिदों से घोषणा की जाती थी – मुस्लिम बन जाओ, इलाका छोड़ दो या मरो। एक महिला ने बताया कि जब कश्मीर में उनके परिवार को पता चला कि मारने आ रहे हैं तो उनके दादा ने कहा कि अगर वो लोग आते हैं तो वो सबसे पहले अपनी ही पोती को मार देंगे। कश्मीर में उस समय महिलाओं के लिए डर का ये आलम था। बिट्टा कराटे ने कबूला भी था कि वो अपनी सगी बहन या माँ को भी मार देता, इस मकसद के लिए।
एक पीड़ित ने बताया कि उनके पिता को मार कर उनके शरीर के साथ ईंटें बाँध कर नदी में फेंक दिया गया था।
विशेषज्ञों की मानें तो 1 लाख घर वीरान हो गए, जो 35 बिलियन डॉलर (2.68 लाख करोड़) की संपत्ति होते हैं। इसी तरह, 3.3 लाख करोड़ रूपए की जमीनें वहाँ कश्मीरी पण्डितों से छीन ली गईं।
तत्कालीन प्रधानमंत्री से किसी पत्रकार ने कश्मीर को लेकर पूछा तो उन्होंने कहा कि स्थिति अच्छी नहीं है और हम भी चिंतित हैं, लेकिन हम क्या कर सकते हैं क्योंकि वो (फारूक अब्दुल्लाह) मेरे दोस्त हैं।
कश्मीरी पंडितों को आशा है कि वो जल्द ही अपने घर जाएँगे। वो कहते हैं कि अनुच्छेद-370 को हटाने का मोदी सरकार का फैसला भारत की स्वतंत्रता के बाद सबसे बड़ा फैसला है।
80 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचार उनके पलायन की कहानी को विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' बयां करती है. इस फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, दर्शन कुमार पल्लवी जोशी जैसे कलाकार अहम भूमिका निभाए हैं.
अनुपम खेर कहते हैं कि फिल्म ने लोगों को हिला दिया है। वह लिखते हैं, ‘जब एयरपोर्ट पर आपको12-15 लोग बोले, “आपकी द कश्मीर फाइल्स देखी, सॉरी हमें पता ही नहीं था कि कश्मीरी पंडित के साथ ये सब हुआ था।“ और फिर सिक्योरिटी ऑफिसर ने कहा, “खेर साहब, आपकी फिल्म ने दहला दिया।“ तो इसका मतलब है हमारी फिल्म लोगों के दिलों तक जा रही है। झकझोर रही है। जय हो।
इससे पहले अनुपम खेर ने अपना एक वीडियो पोस्ट किया और उसके साथ लिखा था, ‘आज मैं सिर्फ अभिनेता नहीं रहा। मैं गवाह हूं और ‘द कश्मीर फाइल्स’ मेरी गवाही है। वो सब कश्मीरी हिंदू,जो या तो मार डाले गए या जीते जी एक शव की तरह जीने लगे। अपने पुरखों की जमीन से उखाड़ कर फेंक दिए गए। आज भी न्याय को तरस रहे हैं। अब मैं उन सब कश्मीरी हिंदुओं की जुबान और चेहरा हूं।
फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के निर्माता और निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री की मेहनत आखिरकार रंग लाई। जो सच दुनिया से छिपा था, उसे दिखाने की हिम्मत विवेक रंजन अग्निहोत्री ने दिखाई। 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) का नाम आज हर किसी की जुबां पर है। कश्मीरी पंडितों पर किए गए जुल्म और हैवानियत की कहानी को जिस तरह 'द कश्मीर फाइल्स' में दिखाया गया है, उसे देखकर हर कोई सिहर रहा है।
फिल्म का एक-एक सीन दिल को अंदर तक झकझोरता है। यह अनुभव वहीं कर सकता है जिसने 'द कश्मीर फाइल्स' देखी है। कैसे कश्मीरी पंडितों को अपना घर छोड़ना पड़ा, उन पर क्या-क्या बीती 'द कश्मीर फाइल्स' देखकर लोग रोते नजर आ रहे हैं।आजतक किसी भी फिल्म निर्देशक और निर्माता ने इतनी गहराई से और ईमानदारी से कश्मीरी पंडितों के दर्द को सक्रीन पर नहीं दिखाया। 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार की कहानी बहुत ही कम लोग जानते हैं। लोगों को यही बताया गया था कि कश्मीरी पंडित डर कर अपना घर छोड़ आए। पर 'द कश्मीर फाइल्स' देखकर अब लोग समझ रहे हैं कि कश्मीरी पंडितों ने डर से अपना घर छोड़ा या उस समय के क्रूर सिस्टम के आगे वो मजबूर हो गए। कश्मीरी पंडितों के साथ हुए उस नरसंहार कोई नहीं भूल सकता। उस दिन कश्मीरी पंडितों को उनके ही घर से बेदखल कर दिया गया। कश्मीर में रहने के लिए अल्लाहू अकबर कहने पर मजबूर किया गया। kashmir without Hindu Men and with Hindu women के नारे लगाए गए। कश्मीरी पंडितों के घरों के बाहर गंदे-गंदे सलोगन लिखे गए। घरों को जला दिया। उन दिनों के बारे में जितना कहा जाए, उतना कम है।
बिट्टा कराटे का क्रूर चेहरा
फिल्म में दिखाए गए वीडियो में फारुख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे खुद कबूल करता है कि उसने 20 लोगों को मौत के घाट उतारा था, जिनमें से कुछ कश्मीरी पंडित भी थे। वीडियो में बिट्टा कराटे बता रहा है कि कत्ल करते वक्त उसे कैसा लगा था। उसने बताया कि पहले कत्ल के बाद उसे कुछ अजीब लगा पर फिर सब ठीक लगने लगा। बिट्टा कराटे बड़े ही निर्मम तरीके से लोगों को मारता था। वह बिना नकाब पहने ही सड़कों पर निकल जाता है और पिस्टल से लोगों को मौत के घाट उतारता। यहां तक की सिस्टम में बैठे लोगों का भी उसे सहयोग था। फिल्म में दिखाए गए वीडियो के बाद अब बिट्टा का असली वीडियो सामने आया है जिसमें वो अपने किए गए कुकर्मों को बेखौफ होकर स्वीकार रहा है।
जानकारी के मुताबिक, बिट्टा कराटे जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट का चेयरमैन है। 1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के बाद बिट्टा कराटे राजनीति में उतर गया था।