वाराणसी। शुक्रवार से गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित तुलसीघाट की रामलीला का शुभारंभ मुकुट पूजा से हुआ। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के अध्यक्ष, श्री गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा के सभापति एवं संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो• विश्वम्भरनाथ मिश्र ने रामलीला के स्वरुपों का विधि विधान से पूजन किया। इस अवसर पर गोस्वामी तुलसीदास द्वारा विरचित श्रीरामचरित मानस की पाण्डुलिपि का पूजन के बाद उसकी चौपाईयों का वाचन भी हुआ। तुलसीघाट की यह प्राचीन लीला तुलसीघाट, रामलीला मैदान, लोलार्ककुंड, आनंदबाग, दुर्गाकुंड, संकटमोचन, लंका, भदैनी और तुलसीघाट पर श्रीरामचरित मानस के विभिन्न प्रसंगों के आधार पर लगभग 5 कि•मी• क्षेत्रफल में भ्रमणकर मंचित होता है।
काशी की गौरवशाली परंपरा-
जिसमें वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के अध्यक्ष, श्री गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा के सभापति एवं संकटमोचन मंदिर के महंत विश्वम्भरनाथ मिश्र ने रामलीला के पात्रों का भी विधि विधान से पूजन किया। इस अवसर पर गोस्वामी तुलसीदाकृत श्रीरामचरित मानस के पूजन के बाद उसकी चौपाईयों का वाचन भी हुआ।
तुलसीघाट की यह प्राचीन लीला तुलसीघाट, रामलीला मैदान, लोलार्ककुंड, आनंदबाग, दुर्गाकुंड, संकटमोचन, लंका, भदैनी और तुलसीघाट पर श्रीरामचरित मानस के विभिन्न प्रसंगों के आधार पर लगभग 5 कि•मी• क्षेत्रफल में मंचित होता आ रहा है।
गौरतलब है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के स्वंंय जीकर जीवन आदर्शों को दुनिया के सामने रखा।भगवान श्रीराम के चरित्रों को नेत्रों के समक्ष मूर्तरुप देने के लिए रामलीला का प्रादुर्भाव हुआ।
गोस्वामी तुलसीदास जी की प्राणप्रिय रामलीला सारी दुुनिया में प्रचलित सभी लीलाओं की मूलभूत लीलाधर की आदिलीला है। सन् 1933 में गोस्वामी तुलसीदास रामलीला समिति संत तुलसीपुरी,भदैनी, काशी बनी। तब से तुलसीघाट की रामलीला परंपरागत ढ़ंग से अनवरत मंचित होती चली आ रही है और हम सबको भगवान श्री राम और माता सीता के आदर्शों पर चलना सिखाने को प्रतिबद्ध है।
रिपोर्ट : सुदीप राज