वाराणसी, 22 जून 2021 | महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के सोशल वर्क फैकल्टी के डीन प्रो. संजय ने कहा कि हम ग्रीन सोशल वर्क के जरिये अपने आसपास के पर्यावरण को सुधार सकते हैं। प्रकृति और संस्कृति का संयोग ही पर्यावरण है। विकास का पर्यावरण पर बहुत ही नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। पिछले 15 सौ सालों से अधिक समय में जितना पर्यावरण को नुकसान नहीं हुआ था उससे अधिक 50 सालों में विकास के नाम पर हमने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है।
वह सोमवार को विश्व हाइड्रोग्राफी डे के अवसर पर वाटरएड इंडिया, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ एवं विज्ञान फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। ग्रीन सोशल वर्क एवं इकोसिस्टम रेस्टोरेशन विषय पर आयोजित जल चौपाल को संबोधित करते हुए प्रो. संजय ने कहा कि इसके कारण जलवायु परिवर्तन के संकट का सामना करना पड़ रहा है।
प्रो. वंदना सिन्हा ने कहा कि पानी का मुद्दा भी ग्रीन सोशल वर्क का ही एक अंग है। वाटरएड इंडिया के समन्वयक डॉ. शिशिर चंद्रा ने वर्षा जलसंचयन से जुड़े मॉडल पर चर्चा की। क्षेत्रीय प्रबंधक फारुख रहमान ने बताया कि यूनाइटेड नेशन ने अगले 10 वर्षों के लिए इकोसिस्टम रेस्टोरेशन थीम का आवाहन किया है। वेबिनार में 15 शिक्षक, विभिन्न प्रदेशों के 90 विद्यार्थी एवं विभिन्न स्वयं सेवी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।