वाराणसी, 22 जून 2021 | धर्म नगरी काशी अब प्रदेश के धर्मार्थ कार्य विभाग का केंद्र भी होगी। धर्मार्थ कार्य विभाग के पहले निदेशक दीपक अग्रवाल की नियुक्ति के बाद अब प्रदेशभर के मठ मंदिरों के विकास की नई राह खुलेगी। काशी में निदेशालय का संचालन शुरू होने के साथ ही मठ-मंदिरों का डाटा और विकास की प्रक्रिया भी तेजी से आगे बढ़ेगी। गाजियाबाद में निदेशक की नियुक्ति के बाद निदेशालय के काम का बंटवारा होगा, लेकिन अभी फिलहाल नियुक्ति नहीं होने के कारण वाराणसी से ही धर्मार्थ कार्य की गतिविधियां संचालित की जाएंगी।
संस्कृति, पर्यटन व धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने बताया कि वाराणसी में धर्मार्थ कार्य विभाग खुलने के साथ ही धर्मार्थ कार्य और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही धर्म स्थलों की व्यवस्था से संबंधित निर्णय लेने में भी आसानी होगी। इसके अलावा प्रदेश के सभी मठ-मंदिरों का डाटा भी तैयार करेगा। इससे मठ-मंदिरों के संरक्षण के साथ ही उन पर होने वाले विवादों के निपटारे में सहूलियत होगी। साथ ही देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रदेश के धार्मिक स्थलों की जानकारियां भी उपलब्ध होंगी। इसमें मठ, मंदिर की स्थापना, संपत्ति, महंत सहित एक एक जानकारी अब सरकार के पास होगी। काशी में निदेशालय की स्थापना के बाद प्रदेश की धार्मिक गतिविधियों और योजनाओं की निगरानी होगी। धर्मार्थ कार्य मंत्रालय के गठन के करीब 35 साल बाद निदेशालय की स्थापना सार्वजनिक संपत्तियों के संरक्षण के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रदेश के सभी मठ, मंदिर और सार्वजनिक हिन्दू संपत्तियों का पूरा ब्योरा तैयार किया जाएगा। दरअसल, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण व सुंदरीकरण परियोजना शुरू होने के बाद से ही धर्मार्थ कार्य विभाग की जरूरत महसूस की जा रही थी। बनारस से ही चित्रकूट, गोरखपुर, विंध्याचल समेत सभी प्रमुख मठ मंदिर की विकास योजनाओं का खाका तैयार किया जाएगा।
धर्मार्थ कार्य विभाग के निदेशक के पद की जिम्मेदारी मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल को दी गई है। विभाग के प्रस्ताव को कैबिनेट ने पास किया था। इससे प्रदेशभर की धार्मिक गतिविधियों के संचालन व निगरानी में सहूलियत होगी। -डॉ. नीलकंठ तिवारी, मंत्री, संस्कृति, पर्यटन व धर्मार्थ कार्य