वाराणसी। हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य और शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश के पूजन के साथ ही होती है। विघ्नहर्ता गणेश जी का पूजन वैसे चतुर्थी तिथि के दिन किया जाता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी 7 दिसंबर, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा. मंगलवार के दिन चतुर्थी तिथि होने के कारण इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है।
विनायक चतुर्थी तिथि और मुहूर्त :
मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन विनायक चतुर्थी का व्रत और पूजन किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा और उपासना की जाती है। इस बार विनायक चतुर्थी 07 दिसंबर प्रातः 02 बजकर 31 मिनट पर लगेगी, जो कि उसी रात 11 बजकर 40 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। मंगलवार के दिन होने के कारण ये अंगारकी विनायक चतुर्थी के संयोग का निर्माण कर रहा है। कहते हैं कि भगवान गणेश का पूजन दोपहर में करना शुभ माना होता है।
विनायक चतुर्थी पूजन विधि:
मान्यता है कि अंगारकी विनायक चतुर्थी के दिन श्री गणेश का विधिपूर्वक पूजन करने से मंगल दोष से मुक्ति मिलती है। विनायक चतुर्थी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त हो कर गणेश जी के आगे व्रत का संकल्प लें। गणेश जी का पूजन शाम के समय पीले रंग के वस्त्र पहन कर करें। पूजन के दौरान पहले गणेश जी को लाल सिंदूर से तिलक करें. इसके बाद धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य आदि चढ़ाएं. मान्यता है कि गणेश जी को पूजा में लड्डू और दूर्वा का भोग अवश्य लगाएं। इसके बाद भगवान गणेश के मंत्रों और स्तुति का पाठ करें. पूजन के आखिर में आरती करना न भूलें।