भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली के इस्तीफे को लेकर पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासत तेज हो गई है। तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव और पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि गांगुली बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में मौजूद हैं और भाजपा के एक नेता के बेटे के रूप में उनका बोर्ड सचिव बनना सही नहीं है । इसके आगे कुणाल घोष ने कहा कि, इस मामले में सिर्फ सौरव गांगुली ही व्याख्यात्मक जवाब दे सकते हैं। मैं इस मामले में इस राजनीतिक व्याख्या के साथ यह जवाब देने की स्थिति में नहीं हूं कि वह कहां तक सही हैं। लेकिन एक समय था जब भाजपा ने पूरे क्षेत्र में संदेश फैलाने की कोशिश की थी। पश्चिम बंगाल के सौरव गांगुली जल्द ही उनके खेमे में होंगे। यह संदेश एक भाजपा नेता के आवास पर रात्रि भोज के बाद फैलाया गया। अब भाजपा को धीरे-धीरे उस संदेश पर सवालों का सामना करना पड़ा है, जिसे उसने फैलाने की कोशिश की थी।
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य, डॉ शांतनु सेन ने भी एक ट्विटर संदेश जारी करते हुए संकेत दिया है कि, सौरभ गांगुली का बीसीसीआई से बाहर होना या तो इसलिए है क्योंकि वह तृणमूल कांग्रेस शासित राज्य से हैं या इसलिए कि वो अब तक भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं । टीएमसी की इस प्रतिक्रिया पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व राज्य इकाई प्रमुख, दिलीप घोष बोले कि, ये पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल के नेताओं द्वारा निराधार राजनीतिक आरोप हैं। इसके आगे दिलीप घोष ने कहा कि, यह पता नहीं है कि हमारी पार्टी ने सौरव गांगुली से संपर्क किया है । तृणमूल कांग्रेस इस मुद्दे पर बेवजह बात कर रही है।
इसके आगे भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि, यह दावा करना गलत है कि जब तक सौरव गांगुली पार्टी में शामिल नहीं होंगे, भाजपा पश्चिम बंगाल में अपना मजबूत आधार नहीं बना पाएगी। दरअसल, बीजेपी पर बेबुनियाद आरोप लगाना तृणमूल कांग्रेस की आदत हो गई है. लेकिन इस तरह की बातें वाकई सौरव गांगुली का अपमान करेंगी और क्रिकेट प्रेमियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाएंगी। खेल के क्षेत्र में इस तरह की अनावश्यक बातें ठीक नहीं हैं।