Pegasus इजराइल के NSO ग्रुप द्वारा बनाया गया स्पाईवेयर अर्थात जासूसी हेतु विशेष सॉफ्टवेयर है जिसका इस्तेमाल किसी भी फोन चाहे एंड्रॉइड हो या IOS को हैक कर उसके सभी मैसेजेस, कॉल डिटेल्स, कॉन्टैक्ट्स, फोटो, वीडियो इत्यादि डाटा को देख पढ़ या हस्तांतरित किया जा सकता है साथ ही दूर कहीं बैठ कर किसी के भी फोन के कैमरा व माइक्रोफोन को रिमोट एक्सेस कर सबकुछ देखा और सुना जा सकता हैं।
यद्यपि इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग और निर्माण कई वर्षों से हो रहा पर हाल ही में हुए एक घटना के बाद इस स्पाइवेयर की चर्चा भारत समेत पूरे विश्व में जोरों शोरों से हो रही हैं।
क्यों मचा है इतना बवाल..??
हाल ही में फ्रांस की एक गैर-लाभकारी संगठन "फॉरबिडेन स्टोरीज" और "एमनेस्टी इंटरनेशनल" ने "पेगासस प्रोजेक्ट" नाम की एक इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट बनाई जिसमें ऐसे 50,000 फोन नंबर का डाटा निकाला गया जिन पर इस पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर जासूसी की गई थी, इस खुफिया रिपोर्ट को The Wire, LeMonde, The Guardian, Washington Post Die Zeit समेत विश्व भर के 10 बड़े मीडिया एजेंसी को सौंपा दिया गया।
भारत मे इस सॉफ्टवेयर की चर्चा तब होने लगी जब पता चला कि दुनिया भर के इन मोबाइल नम्बरों में भारत के भी लगभग 300 ऐसे नम्बर शामिल हैं जिनपर वर्ष 2017 से 2019 के बीच इस जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर डाटा और संवेदनशील तथ्यों की हेराफेरी की गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रमुख रणनीतिकार प्रशांत किशोर, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, तत्कालीन आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव समेत कुल 40 बड़े पत्रकार विपक्षी पार्टी के नेता और कई बड़े व्यापारियों का नाम इस सूची में सामने आया जिनके मोबाइल फ़ोन पर इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर जासूसी की गई।
हालांकि एनएसओ ग्रुप इस बात का दावा करती है कि वो इन सॉफ्टवेयर को केवल उन सरकारों को बेचती है जिन्हें वाकई सुरक्षा की दृष्टि से अपने देश में जासूसी करने की आवश्यकता है।इस सॉफ्टवेयर की कीमत लगभग 7 से 8 मिलियन डॉलर प्रति वर्ष की होती है एक बार में इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर अधिकतम 50 फ़ोन की निगरानी की जा सकती है।
मामला जन साधारण के बीच आते ही कांग्रेस और अन्य बड़े दल के नेता भारतीय जनता पार्ट के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मंत्रिपरिषद के जिम्मेदार मंत्रियों पर इस जासूसी का आरोप लगाते हुए इस्तीफे की मांग करने लगे। मामला संसद के मानसून सत्र के पहले दिन ही चर्चा का विषय बन गया और देश भर में दोषारोपण और सफाई देने का सिलसिला चलने लगा। पर सवाल तो सिर्फ यही है कि क्या वाकई जासूसी की ऐसी घटना हुई ही और अगर हुई है तो इसका जिम्मेदार कौन है? क्योंकि पेगासस के निर्माता कम्पनी NSO ग्रुप के दावे के अनुसार वे केवल सरकारो को ही ये सॉफ्टवेयर बेचतें है किसी निजी संस्था को नहीं।
क्या कहता है भारतीय कानून.??
Indian telegraph act 1885 और Information technology act 2000 के section 43 में एक ऐसी स्थिति का वर्णन किया गया है जिसमें समस्त दस्तावेजों और कई विभागों से अनुमति लेने के बाद सुरक्षा की दृष्टि से किसी भी व्यक्ति अथवा संस्था के मोबाइल फ़ोन में lawful interception किया जा सकता है, पर निजहित के उद्देश्य से की गई किसी भी प्रकार की कोई हैकिंग एक आपराधिक गतिविधि मानी जाएगी।