तालिबान भले ही अफगानिस्तान में कब्जा जमाने के बाद वहां महिलाओं को एक समान तरजीह देने की बात करता हो लेकिन हकीकत में स्थिति कुछ और ही है। यहां इन्ही तालिबानीयों का खौफ इस तरह हो चूका है कि अफगान की सड़को से महिलाएं अब गायब होती जा रही है। खौफ का अंजदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अधिकार संगठन और सहायता संगठन अपनी वेबसाइट से महिला लाभार्थियों, कर्मचारियों और अन्य स्थानीय महिलाओं की तस्वीरें हटा रहे हैं।
एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र महिला निदेशक मोहम्मद नसीरी कहते हैं, "हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता सुरक्षा सुनिश्चित करनी है और उसमें हमारी टीमों की सुरक्षा भी शामिल है। उन महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा जिनके साथ हम काम कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "एक बार आश्वस्त होने पर फिर से सामग्री अपलोड की जाएगी। हम यह देखेंगे कि जमीन पर क्या हो रहा है।" उन्होंने अफगानिस्तान में वर्तमान स्थिति को "लैंगिक आपातकाल" के रूप में बताया है।नसीरी ने कहा कि तस्वीरों को हटाने का कदम अस्थायी है और इसका मतलब यह नहीं है कि संगठन अफगान महिलाओं को छोड़ रहा है, लेकिन वह सावधानी बरत रहा है क्योंकि वह तालिबानियों द्वारा हाल के किए गए वादों को सुनिश्चित करना चाहता है। हाल ही में तालिबान ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए वादे किए हैं।