US, 07 Dec (News Helpline) वाशिंगटन डीसी काउंसिल ने एक नया कानून पास किया है, जिसके तहत अब स्कूलों को पीरियड्स से जुड़े प्रोडक्ट्स जैसे पैड्स और टैम्पॉन्स बाथरूम में मुफ्त उपलब्ध कराने होंगे.अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी के छात्र-छात्राओं के लिए एक खुशखबरी है. डीसी काउंसिल ने एक नया कानून पास किया है, जिसके तहत वाशिंगटन के सभी सरकारी, निजी और चार्टर स्कूलों को अपने बाथरूम में सैनिटरी पैड्स और टैम्पॉन्स समेत पीरियड्स यानी माहवारी से जुड़े प्रोडक्ट रखने होंगे. ये सारे उत्पाद स्कूल की ओर से मुहैया कराए जाएंगे और छात्र-छात्राओं के लिए मुफ्त में उपलब्ध होंगे.
यह कानून 'एक्सपैंडिंग स्टूडेंट ऐक्सेस टू पीरियड प्रोडक्ट्स एक्ट, 2021' के तहत बनाया गया है, जिसे काउंसिल सदस्य ब्रूक पिंटो ने पेश किया था. कैसे हुई इस कानून की शुरुआत? 2020 में काउंसिल का चुनाव लड़ते समय पिंटो ने अपने कैंपेन में इस समस्या पर जोर-शोर से बहस शुरू की थी. उन्होंने कहा था कि विधानमंडल को यह समझने की जरूरत है कि स्कूल में लड़कियों की क्या जरूरतेंहोती हैं और उन्हें क्या दिक्कतें पेश आती हैं. उन्होंने लड़कियों और जेंडर-न्यूट्रल बाथरूम में इन उत्पादों को रखे जाने की जरूरत बताई थी.
अब यह कानून पास हो गया है, तो टीन एज बच्चों के स्कूलों के साथ-साथ शहर के हर एलिमेंट्री स्कूल में भी कम से कम एक बाथरूम में पीरियड प्रोडक्ट उपलब्ध कराए जाएंगे. अमेरिका में एलिमेंट्री स्कूल वो होते हैं, जहां 5-6 से लेकर 12-13 साल की उम्र के बच्चे पढ़ते हैं. कानून बनने पर क्या बोलीं पिंटो? यह कानून पास होने के बाद एक अमेरिकी मीडिया संस्थान से बात करते हुए पिंटो ने कहा, "यह बिल्कुल उसी तरह है, जैसे हम स्कूलों में टॉयलेट पेपर रखते हैं. जब बच्चे टॉयलेट जाते हैं, तो वे यह उम्मीद तो रखते ही हैं कि बाथरूम में टॉयलेट पेपर रखा होगा. ठीक इसी तरह पीरियड प्रोडक्ट्स भी उनके लिए उपलब्ध होने चाहिए" पिंटो ने यह भी कहा, "हमारी आधी आबादी को हर महीने इन बुनियादी स्वास्थ्य उत्पादों की जरूरत पड़ती है. इन्हें विलासिता, पहुंच के बाहर या महंगी चीजों की तरह नहीं देखा जाना चाहिए" कानून यह भी कहता है कि जिस किसी मिडिल या हाई स्कूल में कोई जेंडर-न्यूट्रल टॉयलेट नहीं है, वहां लड़कों के किसी एक बाथरूम में पीरियड प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराए जाने चाहिए. इसका मकसद ट्रांसजेंडर बच्चों की मदद करना है, जो जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल कर सकें.
शिक्षा में भी होगा अहम बदलाव पिंटो बताती हैं कि वाशिंगटन के छात्र-छात्राओं से बातचीत में उन्हें यह भी पता चला कि माहवारी से जुड़ी हेल्थ एजुकेशन बच्चों के पाठ्यक्रम में तब शामिल होती है, जब वे नवीं कक्षा में पहुंच जाते हैं. इस उम्र तक तमाम लड़कियों के पीरियड्स शुरू भी हो चुके होते हैं. ऐसे में पिंटो ने बिल में स्कूलों को यह निर्देश दिए जाने की बात भी शामिल की कि सभी सरकारी और चार्टर स्कूलों में चौथी कक्षा से ही बच्चों को पीरियड्स और इससे जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा और जानकारी देनी शुरू करनी चाहिए.