मुंबई, 30 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बुलंद होसलो से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। अगर उड़ान का इरादा पक्का हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। इसी को साबित किया है जन्म से दृष्टिहीन आयरलैंड के बुनक्राना काउंटी की रहने वाली जेनिफर डोहर्टी ने दोहरा दिया है। उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट का बेस कैंप फतह कर लिया है। डोहर्टी ने बताया कि बेस कैंप तक पहुंचने में डोनेगल सेंटर फॉर इंडिपेंडेंट लिविंग अपॉर्च्युनिटी फंड ने बड़ा योगदान दिया। यह संस्था दिव्यांगों की ऐसी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का मौका देती है, जिसे वह खुद पूरा करने में सक्षम नहीं होते हैं।
डोहर्टी ने आगे बताया कि मुझसे लेटरकेनी पर्वतारोही जेसन ब्लैक ने कॉन्टैक्ट किया था। ब्लैक 2013 में एवरेस्ट फतह कर चुके हैं। वे क्रिसमस से एक हफ्ते पहले मेरे घर आए थे। मुझसे पूछा कि क्या तुम एवरेस्ट चढ़ोगी? वह मुझे एक ग्रुप के साथ एवरेस्ट के बेस कैंप तक पहुंचाना चाहते थे। उनके इस प्रस्ताव से मैं दंग रह गई। मेरे लिए ये आश्चर्य में डालने वाला प्रस्ताव था। मैंने बस इतना कहा कि मैं जाऊंगी। मैं इस बात को लेकर चिंतित थी कि क्या मैं इसके लिए फिट रह पाऊंगी। यात्रा से पहले मेरी 4 महीने तक क्लाइंबिंग की कठिन ट्रेनिंग हुई। रोज 5 से 7 घंटे प्रैक्टिस होती थी। इसके बाद बेस कैंप की चढ़ाई शुरू हुई। मैं तब तक मानसिक रूप से मजबूत हो चुकी थी। चुनौती एवरेस्ट की ऊंचाई नहीं है, बल्कि इच्छा शक्ति है। इसके बगैर एवरेस्ट तो छोड़िए आप इमारत की छत तक नहीं पहुंच पाएंगे। आपके पास एक ही जीवन है। इसके रोमांच का फायदा उठाइए।