मुंबई, 29 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पाकिस्तान की कराची यूनिवर्सिटी में जो बीते दिनों महिला फिदायीन द्वारा हमला हुआ था, जिसमे 3 चीनी महिला प्रोफेसर्स मारी गईं। जिसके बाद चीन ने सख्त रुख अपनाया है । नए नवेले प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आधी रात को दौड़े-दौड़े चीन की इस्लामाबाद में मौजूद एम्बेसी पहुंचे और हाथ बांधकर किसी मुजरिम की तरह बातें सुनते रहे। हमले की जिम्मेदारी उसी बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने ली, जो पहले भी इस तरह के हमलों को अंजाम दे चुकी है और इनमें 15 चीनी नागरिक मारे जा चुके हैं। एक तरफ, चीन और पाकिस्तानी फौज है तो दूसरी तरफ BLA है। बलूचियों की मांगों का समर्थन कई देश कर चुके हैं, लेकिन उसके तौर-तरीकों पर सवालिया निशान हैं।
दरअसल, बलूचिस्तान के नागरिक 1947-1948 से ही खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते। इसके बावजूद किसी तरह वो पाकिस्तान के नक्शे पर मौजूद रहे। उन्हें दोयम दर्जे नागरिक माना जाता रहा। पंजाब, सिंध या खैबर पख्तूनख्वा की तरह उन्हें कभी अपने जायज हक भी नहीं मिले। वक्त गुजरता रहा और इसके साथ ही गुस्सा भी बढ़ता गया। 1975 में तब के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो एक रैली के लिए क्वेटा पहुंचे। यहां एक हैंड ग्रेनेड फटने से मजीद लांगो नाम के युवक की मौत हो गई। दावा किया गया कि यह भुट्टो को मारने आया था। वास्तव में BLA की नींव यहीं से पड़ी। मजीद के छोटे भाई का नाम भी मजीद ही था। वो 2011 में पाकिस्तानी फौज के हाथों मारा गया। इसके बाद BLA का एक अलग दस्ता तैयार हुआ और इसका नाम मजीद ब्रिगेड पड़ा। बलूचिस्तान का ईरान के साथ स्ट्रॉन्ग कनेक्शन रहा है। जैसे पाकिस्तान तालिबान खुद को पाकिस्तानी से ज्यादा अफगानी मानते हैं, वैसे ही बलूचिस्तान के ज्यादातर लोग ईरान के करीब हैं। ईरान भी चोरी छिपे इनकी मदद करता रहा है।
हालिया वक्त में मजीद ब्रिगेड और BLA के सामने पाकिस्तानी फौज निकम्मी साबित हुई है। उसे हर लेवल पर जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ा। मजीद ब्रिगेड की ताकत दो वजहों से ज्यादा हो गई है। पहली- दूसरे देशों में मौजूद बलोच नागरिक और ईरान से फंडिंग मिलती है। दूसरी- इसके लड़ाके काफी पढ़े लिखे और हाईटेक हैं। पिछले दिनों आर्मी डिपो पर हमले में 22 सैनिक मजीद ब्रिगेड का शिकार बने थे। जांच में पता चला कि पाकिस्तानी फौज का पूरा मूवमेंट मजीद ब्रिगेड की टेक्निकल यूनिट ट्रैक कर रही थी।
यहां एक बात और समझनी जरूरी है। वो ये कि BLA का शुरुआती संघर्ष पहाड़ों में शांतिपूर्ण आंदोलन तक सीमित था। जब मजीद ब्रिगेड बनी तो मामला सीधे तौर पर हिंसक हो गया। एक अनुमान के मुताबिक, मजीद ब्रिगेड के हमलों में अब तक करीब 1200 पाकिस्तानी फौजी मारे जा चुके हैं, हालांकि फौज ने सही तादाद कभी नहीं बताई।