मुंबई, 19 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। ब्राजील में एक लड़की के साथ एक अनोखा इत्तेफाक हुआ, जिसकी वजह से उसकी जान बच गई। दरअसल यहां थर्ड ईयर की एक मेडिकल स्टूडेंट गैबरिएला बारबोजा काे प्रोफेसर ने गर्दन के ट्यूमर की जांच कैसे की जाती है, सभी बच्चो को यह समझने के लिए उसे अपनी मदद करने के लिए कहा। गैबरिएला ने वहां मौजूद सभी स्टूडेंट के सामने जांच के लिए मरीज बनकर अपनी भूमिका अदा की। जब क्लास खत्म हुई ताे प्रोफेसर ने उसकी गर्दन में कुछ परेशानी वाले लक्षण देखे और जांच करवाने के लिए कहा। गैबरिएला ने उनकी सलाह पर जांच करवाई ताे पता चला कि उसे पैपिलरी थायरॉयड कार्सिनोमा (PTC) है, जाे थायरॉयड कैंसर का सबसे आम प्रकार है।
गैबरिएला ने एक भावुक पोस्ट में कहा कि जब मुझे कैंसर का पता चला तो मेरे तमाम उम्मीद भरे सपने भरभराकर ढह गए। तब मेरे प्रोफेसर ने मुझे हौसला दिया। और कहा कि ‘PTC सबसे आम बीमारी है। हालांकि, उन्होंने मुझे यह भी समझाया कि यह क्यों होता है और इसका कारण क्या है। यह कुछ जेनेटिक कारणों से भी जुड़ा होता है। अन्य कैंसर के लिए रेडिएशन से जटिलताएं आ सकती हैं, लेकिन तुम्हारे इलाज में ऐसा नहीं होगा क्योंकि यह बेहद धीमी गति से चल रहा है। तुम इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकती हो इसलिए घबराने जैसी कोई बात नहीं है। गैबरिएला ने कहा कि जब तक मुझे कैंसर का पता चला, तब तक वह मेरी गर्दन के अन्य हिस्सों में फैल चुका था। यह मेरी ग्रासनली तक आ चुका था। फिर भी मैंने अपने थायरॉयड और गर्दन के अन्य ट्यूमर को हटवाए। आयोडीन थेरेपी से कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए इसका इलाज करवाया। मैंने तय कर लिया था कि मैं इतनी जल्द हार नहीं मानूंगी। आखिरकार मेरा हौसला जीत गया और 2021 में मैं कैंसर से पूरी तरह से ठीक हो गई।
तो वही ठीक होने के बाद गैबरिएला ने कहा कि अगर मैं आज जिंदा हूं ताे सिर्फ अपने प्रोफेसर की वजह से, जिन्होंने मुझे कक्षा में एक मरीज बनकर जांच करने के लिए चुना। मैं उनकी ताउम्र आभारी रहूंगी, क्योंकि अगर मैं उस दिन कक्षा में नहीं जाती ताे शायद मुझे इतनी जल्दी पता ही नहीं चलता कि मुझे यह बीमारी है। मुझे इलाज में और अधिक समय लगता। अगर उस दिन यह जांच नहीं होती और समय निकल गया हाेता ताे आज मैं दुनिया के सामने पूरी तरह ठीक होकर अपनी खुशी का इजहार भी नहीं कर पाती।
आपको बता दे इसे इलाज से पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। उन्होंने कई रिसर्च पेपर भी बताए। यह लक्षण पैदा नहीं कर सकता है, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है यह एक गांठ की तरह उभरने लगता है और निगलने और सांस लेने में कठिनाई और गले में खराश पैदा कर सकता है।